वो बादशाह जिसके डर से हुमायूं को भागना पड़ा सल्तनत छोड़कर
Preeti Pal
Jun 05, 2023
मुगलों का इतिहास
शेरशाह सूरी ऐसा बादशाह था जिसने मुगलों के इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज कराया था
सालों तक किया राज
भारत पर शेरशाह ने 5 सालों तक राज किया. इस दौरान उन्होंने कई ऐसे काम किए जो इतिहास में बड़ी उपलब्धियों के तौर पर दर्ज हैं
ये था असली नाम
शेरशाह सूरी 1486 में पैदा हुए और उनका असली नाम फरीद खां था. बहुत कम उम्र में उन्होंने एक शेर को मार दिया था, इसलिए उनका नाम शेरशाह पड़ा
बादशाह बाबर
जब शेरशाह को मुगल सेना में काम मिला तब बाबर मुगल सल्तनत का बादशाह था.
मुगलों की गद्दी
बाबर की सेना में काम करने के दौरान ही शेरशाह ने बादशाह की गद्दी पर बैठने के ख्वाब देख लिए थे.
बाबर की मौत
बाबर के निधन के बाद हुमायूं ने गद्दी संभाली. कहा जाता है कि वो पश्चिम बंगाल को अपने कब्जे में लेना चाहता था लेकिन शेरशाह सूरी का इलाका बीच में आ गया
जंग
ऐसे में सन 1537 में हुमायू और शेरशाह की सेनाएं चौसा जंग में आमने-सामने खड़ी थीं
समझौता
लेकिन हुमायू ने शेरशाह से कहा कि बंगाल और बिहार शेरशाह को दिए जाएंगे लेकिन वो इलाके मुगल सल्तनत का हिस्सा ही रहेंगे. इस बात पर शेरशाह ने भी हांमी भर दी
फिर आमने-सामने
हालांकि, 17 मई, 1540 को कन्नौज में हुमायूं और शेरशाह सूरी की सेनाएं फिर आमने सामने आईं. हुमाया के पास 40 हजार सैनिक और शेरशाह के पास कुल 15 हजार
सैनिकों ने दिया साथ
लेकिन जब जंग लड़ने की बारी आई तो हुमायूं की सेना शेरशाह की सेना में मिल गई और शेरशाह ने आसानी से जीत हासिल कर ली और हुमायू को मैदान छोड़कर भागना पड़ा