बिल अगर कानून बन गया तो किसी भी निजी व्यक्ति या संस्था को नजूल प्रॉपर्टी का पूर्ण स्वामित्व नहीं मिलेगा.
क्या होती है नजूल प्रॉपर्टी?
नजूल की जमीन का मतलब उन संपत्तियों (जमीनों) से होता है जिनका लंबे समय तक वारिस नहीं मिलता.
इस स्थिति में ऐसी जमीनों पर राज्य सरकार का स्वत: अधिकार हो जाता है.
आजादी से पहले अंग्रेजों से बगावत करने वाली रियासतों से लेकर आम लोगों की जमीन पर भी ब्रिटिश हुकूमत कब्जा कर लेती थी.
आजादी के बाद ऐसी जमीनों पर जिनके वारिसों ने रिकॉर्ड के साथ दावा किया कि यह जमीन उनकी है तो ऐसी स्थिति में सरकार ने उन जमीनों को वापस कर दिया.
वहीं जिन जमीनों पर कोई दावा नहीं आया वो नजूल की जमीन बन गई, जिसका स्वामित्व राज्य सरकारों के पास था.
नजूल जमीनों पर मेडिकल कॉलेज और अदालतें बन गईं. बिल के विरोधियों का कहना है कि एक ओर मोदी सरकार गरीबों को घर दे रही है दूसरी ओर आप ऐसी जमीनों पर रह रहे लोगों को उजाड़ रहे हैं.
नए कानून का उद्देश्य नजूल भूमि का इस्तेमाल विकास कार्याें मेंं किया जाना है. अब तक इन जमीनों की लीज जिनके पास थी वो इससे अपना स्वामित्व खोना नहीं चाहते हैं. ऐसे में नजूल बिल विधानपरिषद से पास नहीं हुआ तो प्रवर समिति के पास भेजा गया है.