मुगलों के राज में तवायफों का हाल कैसा था. वह कैसी दिखती थीं. हालांकि चित्रकारों ने सुनी-सुनाई बातों के आधार पर मुगल काल के हरम के चित्र उकेरे हैं.
AI ने दिखाई खूबसूरती
लेकिन आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से हम आपको दिखा रहे हैं कि उस वक्त की तवायफें कैसी दिखा करती थीं.
शासकों ने दी थी शह
मुस्लिम शासकों के दौर में वेश्यावृत्ति को मान्यता मिली हुई थी. सिर्फ औरंगजेब को छोड़ दें तो मुगल काल में वेश्यावृत्ति बादशाह के संरक्षण में पेशे के तौर पर पनपा.
तवायफ-मुजरा जैसे शब्द आए
उस वक्त तवायफ और मुजरा जैसे शब्द प्रचलित हुए. मुगल राज में तवायफों का कनेक्शन कला को दिखाने से था. चूंकि बादशाहों का ही संरक्षण तवायफों को हासिल था, इसलिए उनके नाचने-गाने को उच्च स्तर भी हासिल हुआ.
मुगलों के हाथ से छिना कोहिनूर
दिल्ली की एक तवायफ तो ऐसी भी थी, जिसकी वजह से मुगलों से हाथ से कोहिनूर हीरा चला गया था. उसका नाम था नूर बाई.
शाह रंगीला को दिया धोखा
जब दिल्ली पर ईरान के शासक नादिर शाह ने हमला किया तो नूरबाई ने पाला बदल लिया. उसने मुहम्मद शाह रंगीला को धोखा दिया और नादिर शाह को कोहिनूर के बारे में बता दिया.
बदलवा दीं पगड़ियां
नादिर शाह ने चतुराई दिखाई और शांति प्रस्ताव के लिए शाह रंगीला को बुलाया. रिवाज के तहत दोनों की पगड़ियां बदलवाईं गईं. इस तरह कोहिनूर नादिर शाह को मिल गया और वह उसे अपने साथ ले गया.
फिर ऐसी हो गई हालत
हालांकि जब मुगलों का दौर खत्म हुआ तो उनके दरबार की तवायफों के पास कोई काम न बचा. उनकी हालत ऐसी हो गई थी कि उनकी देखभाल करने वाला भी कोई नहीं बचा.
अंग्रेजों ने भी नहीं दिया ध्यान
जब भारत का शासन अंग्रेजों के पास आया तो उन्होंने भी इन महिलाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया. इसके बाद तो देह व्यापार कमर्शियल हो गया