शांति देवी और पुनर्जन्म: महात्मा गांधी से लेकर वैज्ञानिकों ने भी इसे सच माना

Zee News Desk
Jul 17, 2024

पुनर्जन्म के बारे में आपने कई बार सुना होगा, लेकिन भारत में एक पुनर्जन्म का ऐसा भी किस्सा हुआ है जिसने वैज्ञानिकों के साथ माहात्मा गांधी को भी चौंका दिया.

11 दिसंबर 1926 को दिल्ली में शांति देवी का जन्म हुआ था, जन्म के 3 साल तक वो कुछ भी बोल नहीं पाती थीं, लेकिन 4 साल के होने पर उन्होंने अपने माता पिता से अजीब सवाल करने शुरू कर दिए, कि मेरे पति कहां हैं, मेरा बेटा कहां है? वो अपना नाम लुगड़ी देवी बताती थीं.

जब उनके माता पिता ने और पूछा तो शांति देवी ने बताया कि उनके पति का नाम केदारनाथ चौबे है और उनकी मथुरा में कपड़े की दुकान है. उन्होंने ये भी बताया कि उनका एक बेटा है जिसे जन्म देेने के 10 दिन बाद शांति देवी की मौत हो गई थी.

इन सब की जब पड़ताल की गई तो सारी बातें सच निकलीं. मथुरा में केदारनाथ चौबे को खोजा गया और उनसे पूछा गया उनकी पत्नि के बारे में, जिसके जवाब में केदारनाथ ने बताया कि उनकी पत्नि की बेटे को जन्म देने के बाद मौत हो गई थी.

पहली बार जब शांति देवी और केदारनाथ को मिलाया गया, तो केदारनाथ अपने बड़े भाई के रूप में शांति देवी से मिले, लेकिन शांति देवी ने उन्हें पहचान लिया, इतना ही नहीं उन्होंने अपने बेटे को भी पहचान लिया.

इस घटना की खबर देश में फैल गई और महात्मा गांधी तक भी ये खबर पहुंच गई. गांधी शांति देवी से मिले और 15 लोगों की एक कमिटी बनाई, ताकि इस केस की पड़ताल हो सके.

15 लोगों की ये टीम शांति देवी को मथुरा लेकर गई. शांति देवी ने अपने मथुरा वाले घर का पता खुद बताया और वहां पहुंच कर अपने जेठ जी को भी पहचान लिया. उन्होंने भीड़ में से अपने ससुर को भी पहचान लिया.

उस टीम को शांति देवी ने अपने घर में एक जगह बताई जहां शांति देवी ने पैसे छिपाए थे, केदारनाथ ने बताया कि शांति देवी की मौत के बाद उन्होंने वहां से पैसे निकाल लिए थे.

इन सब के बाद देश विदेश से Parapsychologists इस पर रिसर्च करने लगे. ऐसे ही एक रिसर्चर Ian Stevenson ने कहा कि शांति देवी की कहानी पूरी तरह सच है.

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