लखनऊ में एक व्यक्ति की दो पत्नियों ने हफ्ते के दिन बांटकर तलाक के मामले को टाल दिया और एक ही शख्स के साथ दोनों रहने के लिए राजी हो गईं.
Ajit Tiwari
Apr 07, 2023
2016 में अलग हुई पहली पत्नी
दरअसल, युवक की 2009 में माता-पिता की मर्जी की लड़की से हुई और उससे दो बच्चे भी हुए. इसके बाद 2016 में दोनों अलग हो गए.
दूसरी महिला के साथ प्रेम विवाह
युवक ने दूसरी महिला के साथ प्रेम विवाह किया और पहली पत्नी के खिलाफ तलाक का केस फाइल कर दिया. इसके बाद युवक को दूसरी पत्नी से भी एक बच्चा हुआ.
कोरोना की वजह से टली सुनवाई
तलाक के मामले को लेकर 2018 में वाद दाखिल हुआ. हालांकि, इसके बाद कोरोना की वजह से मामले की सुनवाई टलती चली गई.
तलाक की अर्जी वापस ली
इसके बाद जब कोर्ट में सुनवाई के लिए बुलाया गया तो दोनों पक्ष ने आपस में सुलह कर लिया और तलाक की अर्जी को वापस लेने की अपील की.
इस शर्त पर हुआ सुलह
दोनों पत्नियों के बीच इस आधार पर सुलह हुई कि युवक एक पत्नी के साथ तीन दिन रहेगा और दूसरी पत्नी के साथ हफ्ते के चार दिन रहेगा.
त्योहार पर मिलते रहेंगे
इसके अलावा त्योहार के मौकों पर चाहें तो मिलते-मिलाते रहेंगे. साथ ही कोई भी किसी पर मुकदमा नहीं करेगा. कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात मानते हुए केस वापसी पर मुहर लगा दी.
28 मार्च को हुआ फैसला
कोर्ट ने समझौता पत्र पर 28 मार्च को वाद निरस्त करने का फैसला सुनाया. इसके मुताबिक, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को पति के पहली पत्नी के साथ रहने की सहमति बनी.
संपत्ति पर दोनों का हक
वहीं सप्ताह के बाकी के 4 दिन दूसरी पत्नी के साथ रहने पर सहमति बनी. साथ ही ये भी तय हुआ कि चल-अचल संपत्ति पर दोनों का समान हक होगा.
पहली पत्नी को हर महीने 15 हजार मिलेगा
इसके अलावा 15 हजार रुपये प्रति माह भरण पोषण के लिए पहली पत्नी को पति देगा. इन सब शर्तों को स्वीकार करते हुए दायर वाद को वापस लेने पर दोनों पक्ष राजी हो गए.