दिल्ली में मौजूद कुतुबमीनार के दरवाजे पिछले 42 सालों से बंद हैं. जो भी जाता है उसे दरवाजे पर ताला ही नजर आता है. क्या आपको पता है इस बंद दरवाजे की वजह?
Ajit Tiwari
Apr 11, 2023
1981 से लगा है ताला
एक समय था जब लोग कुतुबमीनार के टॉप फ्लोर तक जाया करते थे. सीढ़ियां आम लोगों के लिए खुली हुई थीं. साल 1981 में मीनार का दरवाजा बंद हो गया और वो अब तक नहीं खुला.
बल्ब की रोशनी में ऊपर जाते थे लोग
कुतुबमीनार के अंदर बनी सीढ़ियों से लोग बल्ब की रोशनी में ऊपर जाया करते थे. अब वहां अंधेरा रहता है.
भगदड़ के बाद मची अफरा-तफरी
4 दिसंबर 1981 को भी कुतुबमीनार के अंदर लोगों खचा-खच भरे हुए थे. तभी अंदर की बत्ती गुल हो गई. इसके बाद अफरा-तफरी मच गई.
45 लोगों की हो गई मौत
इस हादसे में 45 लोगों की जान चली गई. हादसे के दौरान कुतुबमीनार के अंदर ज्यादातर बच्चे ही थे.
हादसे के बाद से गेट बंद
इस हादसे के बाद से मीनार के गेट को बंद कर दिया गया और उसके बाद से अभी तक मीनार के गेट कभी नहीं खुले.
800 साल पुरानी है इमारत
800 साल से भी पुरानी ये इमारत दुनिया की सबसे ऊंची ईंट-पत्थर से बनी टॉवर है, ऐसा दावा किया जाता है. 1220 में ये बनकर तैयार हुआ था.
अंदर है गार्डन
कुतुबमीनार के अंदर काफी खूबसूरत गार्डन बनाया गया है. इसके अलावा इसमें अलाउद्दीन का मदरसा और इल्तुतमिश की कब्र बनी हुई है.
दो बार बनी मीनार
इसके निर्माण का काम कुतुबद्दीन ऐबक ने शुरू किया था. हालांकि, बीच में ही उनका निधन हो गया. इसके बाद उनके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इसका काम पूरा करवाया.
कुतुबद्दीन के नाम पर पड़ा नाम
इस मीनार का नाम कुतुबद्दीन ऐबक के नाम पर रखा गया. वर्तमान में शाम के दौरान इस मीनार की खूबसूरती देखते ही बनती है.