इसमें कोई दोराय नहीं कि सही उम्र में शादी करने से ज्यादा जरूरी सही पार्टनर के साथ शादी करना है. लेकिन लेट शादी से कई बार सही पार्टनर के साथ भी कई मुश्किलें आती हैं.
लेट शादी करने पर एडजस्टमेंट बहुत दिक्कत आती है. एक लंबे समय तक जीवन अकेले बिताने के बाद किसी दूसरे के अनुसार जीना आसान नहीं होता.
30 के बाद औरतों की फर्टिलिटी कम होने लगती है. ऐसे में लेट शादी करने से फैमिली प्लानिंग में बहुत परेशानी आती है.
30-35 कि उम्र तक व्यक्ति ज्यादातर चीजें एक्सप्लोर कर लेता है. ऐसे में जब लेट शादी होती है तो पार्टनर के साथ करने को कुछ खास रह नहीं जाता है.
इंटीमेट एक्सपीरियंस बहुत अच्छा नहीं होता है. क्योंकि उम्र के साथ होर्मोन्स सुस्त पड़ने लगते हैं.
लेट शादी करने पर बहुत ज्यादा ऑप्शन नहीं रह जाते हैं. ऐसे में कई बार व्यक्ति को मजबूरी अपना पार्टनर चुनना पड़ता है.
लेट शादी करने पर बच्चों और माता-पिता में बहुत ज्यादा गैप आ जाता है. जिसके कारण व्यक्ति एज के साथ आने वाली प्रॉब्लम और बच्चों का पालन-पोषण सही से नहीं कर पाता.
पति-पत्नी का रिश्ता प्रैक्टिकल और इमोशनल दोनों होना चाहिए. लेकिन लेट शादियों में इमोशन्स की कमी होती है.
लेट शादी में तलाक की संभावना बहुत अधिक होती है. क्योंकि 30 के बाद लोग करियर में इस प्वाइंट पर होते हैं जहां उनके पास किसी को समझने का समय नहीं होता है.