तबियत कर देंगी खुशनुमा, अगर पढ़ लीं निदा फाज़ली की ये 8 शायरियां

Zee News Desk
Oct 11, 2024

उर्दू भाषा के मशहूर शायर निदा फाज़ली की खूबसूरत शायरियां, मुर्दे में भी जान भर देंगी.

“कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता, कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता…”

“हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी, जिस को भी देखना हो कई बार देखना…”

“धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो, ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो…”

“बहुत मुश्किल है बंजारा-मिज़ाजी, सलीक़ा चाहिए आवारगी में…”

“ये शहर है कि नुमाइश लगी हुई है कोई, जो आदमी भी मिला बन के इश्तिहार मिला…”

“ग़म है आवारा अकेले में भटक जाता है, जिस जगह रहिए वहाँ मिलते-मिलाते रहिए…”

“बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने, किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है…”

“कहाँ चराग़ जलाएँ कहाँ गुलाब रखें, छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता…”

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