अकबर इलाहाबादी की 9 चुनिंदा शायरियां, तो मुर्दे में भी भर देगी जान

Zee News Desk
Oct 11, 2024

दोस्ती जब किसी से की जाए, दुश्मनों की भी राय ली जाए…”

“लोग कहते हैं कि बदनामी से बचना चाहिए, कह दो बे उसके जवानी का मज़ा मिलता नहीं…”

“इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद, अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता…”

“ख़ुदा से माँग जो कुछ माँगना है ऐ ‘अकबर’, यही वो दर है कि ज़िल्लत नहीं सवाल के बाद…”

“गुले तस्वीर किस ख़ूबी से गुलशन में लगाया है, मेरे सैयाद ने बुलबुल को भी उल्लू बनाया है…”

दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ, बाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ

सब जानते हैं इल्म से है ज़िंदगी की रूह, बे-इल्म है अगर तो वो इंसाँ है ना तमाम

ये मौजूदा तरीक़े राही-ए-मुल्क-ए-अदम होंगे, नई तहज़ीब होगी और नए सामाँ बहम होंगे

“हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है, डाका तो नहीं मारा चोरी तो नहीं की है…”

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