हर बच्चे को मुंहजबानी रटे होने चाहिए ये 5 संस्कृत के श्लोक, सफलता खुद खटखटाएगी दरवाजा

Zee News Desk
Sep 23, 2024

अगर सफलता को हासिल करना है तो हर मां बाप अपने बच्चों को संस्कृत के ये 5 श्लोक जरूर सिखाएं.

सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम्। एतद् विद्यात् समासेन लक्षणं सुखदुःखयोः।।

इसका अर्थ है कि हमारा दुख दूसरों के हाथों में हैं. इस पर हमारा कोई जोर नहीं. मगर हमारा सुख सिर्फ हमारे हाथों में है. इस पर हमारा पूरा कंट्रोल है.

काकः चेष्टा, बको ध्यानं, श्वान निद्रा तथैव च। अल्पाहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंचलक्षणम्।।

अर्थ है कि कुए जैसी फुर्ती, बगुले जैसा ध्यान, कुत्ते जैसी नींद, कम खाना, घर छोड़ना ये सारे एक अच्छे विद्यार्थी के लक्षण हैं.

विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्। पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्।।

इसका अर्थ है कि ज्ञान से विनम्रता आती है. विनम्रता से पात्रता मिलती है. पात्रता से धन और समृद्धि मिलती है. समृद्धि से आचरण मिलता है. और सही आचरण से संतोष की प्राप्ति होती है.

अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैवकुटम्बकम्।।

ये मेरा है, पराया है ऐसी गणना दुष्टों की होती है. जबकि उदार व्यक्तियों को पूरा विश्व ही अपना परिवार लगता है.

विद्वानेवोपदेष्टव्यो नाविद्वांस्तु कदाचन। वानरानुपदिश्याथ स्थानभ्रष्टा ययुः खगाः।।

सलाह समझदार को देनी चाहिए न कि किसी मुर्ख को. ध्यान रहे कि बंदरों को सलाह देने के कारण पक्षियों ने भी अपना घोंसला गवां दिया था.

इन 5 श्लोकों को हर बच्चे को रटे होने चाहिए. इससे उनके दिमाग में ये बातें हमेशा बसी रहेगी.

ये श्लोक उनको किसी फैसले को लेने में, साथ ही जीवन को देखने का नजरिया भी बदलते हैं.

Disclaimer

प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है. आप कहीं भी कुछ भी इससे जुड़ा पढ़ें तो उससे पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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