कफिंग सीजन में ढूंढने निकले हैं पार्टनर तो रहें अलर्ट कहीं 'मेंढक' की तरह प्यार भी न निकले 'बरसाती'!

Zee News Desk
Jul 24, 2024

प्यार और मौसम

प्यार और मौसम, एक ही सिक्के दो पहलू हैं. प्यार में पड़ लोगों को डर होता है कि कहीं उनका Partner मौसम की तरह बदल न जाए. क्या ऐसा सच में होता है? आइए जानते हैं…

क्या है कफिंग सीजन

जब गर्मियां जाने लगती हैं और बारिश का मौसम शुरू होता है तो इसे रिलेशनशिप की भाषा में कफिंग सीजन कहते हैं. कफिंग सीजन वसंत में खत्म होता है. इस सीजन में लोग अपने लिए पार्टनर की तलाश करते हैं.

क्या मैसम के जैसे लोग भी बदल जाते हैं?

Psychologists और Relationship Coaches की माने तो बारिश के मौसम में लोग खुद को अकेला पाते हैं, ऐसे में लोग पार्टनर की तलाश करने लगते हैं.

रिश्ते टूट जााते हैं

अब अगर इस सीजन में कोई नया पार्टनर बनाता है तो ऐसे रिश्ते टिकते नहीं हैं और जल्द ही टूट जाते हैं क्योंकि ये रिश्ते प्रकृति की इच्छा से नहीं बनते बल्कि हम बनाते हैं.

Relationship में होते हैं झगड़े

इस कफिंग सीजन में पार्टनर बनाने पर अक्सर रिलेशनशिप में झगड़े होते हैं तो वहीं सिंगल लोग खालीपन महसूस करते हैं और पार्टनर की तलाश में निकल पड़ते हैं. ऐसे सिंगल लोग के इस सीजन में Relationship में आने के ज्यादा Chances होते हैं.

मौसमी प्यार टिकता क्यों नहीं?

Psychology ने प्यार को 3 भागों में बांटा है… वासना आकर्षण लगाव

वासना

इसमें प्यार कम और Physical Attraction ज्यादा होता है, ऐसे रिश्ते में दिल और दिमाग की जरूरत नहीं होती.

आकर्षण

प्यार का दूसरा चरण है ये, इसमें एक अलग सा नशा होता है. जो आपके मन को भर जाए सारा दिन बस उसी का ख्याल आता है. ऐसे रिश्ते में दिल मिल भी सकते हैं और नहीं भी.

लगाव

ये आखिरी चरण है जिसमें पार्टनर से दिल और दिमाग का रिश्ता जुड़ जाता है. Future Plannings होनो लगती हैं और जिंदगी भर साथ रहने का वादा भी किया जाता है.

कफिंग सीजन का प्यार ज्यादा से ज्यादा दूसरे चरण तक ही पहुंच पाता है और समय के साथ खत्म हो जाता है.

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