बड़ा फर्क है 5 स्टार और 7 स्टार होटल में, ऐसे होती है रैंकिंग

Shwetank Ratnamber
Oct 12, 2023

आपने होटल, मोटल और रिसॉर्ट्स के बारे में सुना होगा. हालांकि ज्यादातर लोग इनके बीच के अंतर को लेकर कंफ्यूज रहते हैं. यही बात 5 स्टार होटल या 7 स्टार होटलों के सिलसिले में भी लागू होती है.

फाइव और सेवन स्टार होटल से जुड़ी तमाम बातें आपको बताते हैं. आम भाषा में तो बहुतेरे लोग खाने-पीने की जगह को भी होटल कहकर बुलाते हैं. ऐसे में आइए आपको इनके बीच के अंतर को समझाते हुए कंफ्यूजन खत्म कर देते हैं.

सीधा फंडा है. जितना ज्यादा स्टार उतना महंगा होटल. 5 स्टार होटल तो काफी लोगों ने देखा और घूमा होगा. लेकिन क्या आपने 7 स्टार होटल देखा है? 7 स्टार होटल काफी लैविश होता है. आम भाषा में बोले तो यह फाइव स्टार होटल से भी ज्यादा खास होता है.

5 स्टार और 7 स्टार में अंतर जानें

आजकल के नेटसेवी और ज्ञानी लोग तमाम होटलों को अपने मन मुताबिक रेटिंग देने लगे हैं. वहीं कुछ और लोग अपने होटल को अपने हिसाब से रेटिंग दे देते हैं लेकिन ये बात सरासर गलत है.

ये है प्रोसीजर

आपको बता दें कि पर्यटन मंत्रालय के अधीन एक कमेटी है, जो होटल को रेटिंग देने का काम करती है. इसका नाम होटल एंड रेस्टोरेंट अप्रूवल एंड क्लासिफेक्शन कमेटी है.

अलग-अलग नियम

देश के होटल को रेटिंग देने के अलग-अलग नियम होते हैं. जो किसी देश में 5 सितारा होटल है, वो दूसरे देश में तीन सितारा होटल की कैटेगरी में भी आ सकता है.

होटल को स्टार के नंबर देने में सबसे बड़ा रोल उनकी लोकेशन का होता है. हर देश के अपने अलग कायदे कानून होते हैं.

5 स्टार होटल में कई चीजें खास होती हैं. सबसे ज्यादा हॉस्पिटेलिटी पर ध्यान दिया जाता है. इसके अलावा इसका लोकेशन भी खास होता है. हर कमरे का मिनिमम साइज 200 स्क्वायर फीट माना जाता है जो उसे काफी अलग और खास बनाता है.

कैसे तय होती है ये रेटिंग?

किस होटल को कौन सी रेटिंग दी जाए, एक एक पैरामीटर पर तय किया जाता है. इसके लिए होटल द्वारा रेटिंग के लिए अप्‍लाई करने के बाद एक टीम आकर विजिट करती है और होटल की साफ-सफाई, वहां की सुविधाएं, कमरे के साइज, एसेसरीज वगैरह को देखती है और गाइडलाइन्‍स के मुताबिक अन्‍य तमाम पैरामीटर्स पर इन सुविधाओं को परखती है. इसके बाद ही उस होटल को रेटिंग देने का काम किया जाता है.

5 स्टार और 7 स्टार होटलों में सुइट रूम होते हैं. जिनका एक रात का किराया आम आदमी की साल भर से ज्यादा कमाई से ज्यादा होता है.

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