बादशाह अकबर की बेगम और जहांगीर की मां मरियम उज जमानी थीं. मगुल साम्राज्य के दूसरे राजाओं से समझौते में मरियम की अहम भूमिका रहती थी. ये ही शर्ते तय करती थीं जिनको अकबर और जहांगीर दोनों मानते थे.
मुगल बादशाह बाबर की बेटी और बादशाह हुमायूं की सौतेली बहन गुलबदन थीं. उन्होंने ही हुमायूंनामा लिखा है जोकि उस समय का सबसे पुख्ता सबूत है. हुमायूं अपनी बहन से सलाह लिया करते थे.
मुगल बेगमों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली थीं नूरजहां, जो कि बादशाह जहांगीर के साथ दरबार में जाती थीं और राजकाज के मामलों में अपनी सलाह देती थीं.
बादशाह शाहजहां की बेगम मुमताज महल थीं. जिनकी याद में मशहूर आगरे का किला बनवाया गया था. इनका असली नाम अर्जुमंद बानो था शाहजहां के फैसलों पर इनका असर पड़ता था.
शाहजहां की बेटी रोशनआरा बेगम थी, औरंगजेब को बादशाह बनवाने में इनकी अहम भूमिका थी. रोशनआरा को फरमान और निशान जारी करने का अधिकार था. इसके साथ वो राजनीतिज्ञ मामलों में भी खुलेआम आदेश देती थीं.
शाहजहां की बड़ी बेटी जहांआरा बेगम थी. इनकी मां मुमताज के बाद पादशाह बेगम बनाया गया था. इनको उस समय दुनिया की सबसे अमीर बेगम का ताज मिला हुआ था. इनके फैसले को राजा भी टालने से कतराते थे.
मुगल बादशाह अकबर की मां और हुमायूं की पत्नी हामिदा बानो थी. इनकी बात टालने की हैसियत भी किसी में नहींं थी. वैसे ये राजनीतिज्ञ मामलों से दूर ही रहना पसंद करती थीं.
अकबर की सबसे पहली बेगम रूकैया थी. ये 58 साल तक भारत की मल्किका थी. इनको अकबर के शासनकाल की सबसे ज्यादा पावरफुल बेगमों में से एक माना जाता है.
Disclaimer:प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है.