अकबर इलाहाबादी की इन 10 शायरियों से अपनी 'अनारकली' को करें इम्प्रेस

Alkesh Kushwaha
Jun 07, 2024

इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता

हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता

दुनिया में हूं दुनिया का तलबगार नहीं हूं बाज़ार से गुज़रा हूं खरीदार नहीं हूं

हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना

जो कहा मैं ने कि प्यार आता है मुझ को तुम पर, हंस के कहने लगा और आप को आता क्या है

मजहबी बहस मैं ने की ही नहीं फालतू अक़्ल मुझ में थी ही नहीं

पैदा हुआ वकील तो शैतान ने कहा लो आज हम भी साहिब-ए-औलाद हो गए

रहता है इबादत में हमें मौत का खटका हम याद-ए-ख़ुदा करते हैं कर ले न ख़ुदा याद

अकबर दबे नहीं किसी सुल्ताँ की फ़ौज से लेकिन शहीद हो गए बीवी की नौज से

मैं भी ग्रेजुएट हूं तुम भी ग्रेजुएट इल्मी मुबाहिसे हों ज़रा पास आ के लेट

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