"हमसे रक्षा-बंधन रूठ गया", कुमार विश्वास की ये कविता पढ़ आंखों में आ जाएंगे आंसू

Zee News Desk
Aug 17, 2024

इस बंधन में बंधा तो दूजा तीजा बंधन छूट गया, करवा चौथ मनी तो हमसे रक्षा बंधन रूठ गया.

दिन होली हो रात दिवाली वो त्योहार नहीं मिलता, इस धरती पर कभी किसी को सबका प्यार नहीं मिलता.

अवधपति दशरथ का आंगन लगता था खाली-खाली, चार पुत्र खेले उसमें तो हुई अजिर में उजयाली.

जिस सुख ने दामन थामा था पर वो जल्दी छूट गया, राम रुके तो धरती से दशरथ का नाता टूट गया.

देवताओं को भी अपना सपना साकार नहीं मिलता, इस धरती पर कभी किसी को सबका प्यार नहीं मिलता.

बचपन भेंट चढ़ा ईर्ष्या की और जवानी चौसर की, पांडु-पुत्र भटके वन-वन में ठोकर खाई दर-दर की.

रश्मिरथी को हरा कीर्ति की सीमाओं के पार गया, वही पार्थ एक दिन भीलों के हाथों ही से हार गया.

एक बार जो मिल जाता है वो हर बार नहीं मिलता, इस धरती पर कभी किसी को सबका प्यार नहीं मिलता.

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