आखिर क्या है शव साधना… क्या सच में जिंदा हो जाते हैं मुर्दे? सच्चाई जानकर हो जाएंगे हैरान!

Zee News Desk
Aug 20, 2024

शव साधना को तंत्र के महत्वपूर्ण, सबसे कठिन और गुप्त अनुष्ठानों में से एक माना जाता है.

आइए जानते हैं कि शव साधना क्यों की जाती है और शास्त्रों में इसके बारे में क्या कहा गया है.

शव साधना को भारत की प्राचीन विद्या मानी जाती है. इसे हमेशा रात में चुपचाप की जाती है.

शव साधना आमतौर पर अमावस्या के काली रात में की जाती है. इस साधना को शमशान में किया जाता है.

शव साधना के नियम बहुत कड़े हैं. अगर इन नियमों को अच्छे से नहीं किया गया तो साधक को भयंकर सजा मिलती है.

तंत्र शास्त्र के अनुसार शव ताजा और क्षतिरहित होना चाहिए. शव के शरीर का कोई भी अंग कटा या क्षतिग्रस्त नहीं होना चाहिए.

शाक्त कथाओं के अनुसार शव को फूलों और चंदन के लेप से सजाया जाता है. फिर साधक शव के उपर बैठ के साधना शुरू करता है.

यह साधना देवी को खुश करने और शक्तियों को पाने के लिए किया जाता है. इस साधना को करते समय देवी कई बार साधक की परीक्षा लेती है.

कहा जाता है कि इस अनुष्ठान को करते समय शव जीवित हो जाता है और वह साधक से बातचीत करता है.

अगर इस क्रिया को करते हुए साधक डर जाता है तो वो पागल हो सकता है लेकिन जिसने इसे कर लिया वो मनचाही शक्तियों को प्राप्त कर लेता है.

डिसक्लेमर

यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स, धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. यह जानकारी जी न्यूज की राय नहीं है.

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