भारत में रोटी और डबल रोटी दोनों की खूब डिमांड है. डबल रोटी को हम ब्रेड के नाम से भी जानते हैं. भारत में कई तरह ब्रेड होती है.
वाइट ब्रेड, आटा ब्रेड, ब्राउन ब्रेड, बन जैसे न जाने कितने नाम इस चीज को दिए गए हैं. दुनियाभर में ब्रेकफास्ट के टाइम इसकी जबरदस्त डिमांड होती है.
रोटी में छेद नहीं होते हैं, वहीं ब्रेड चाहे किसी भी कंपनी की हो या किसी भी तरह की हो उसमें सैकड़ों छेड़ देखने को मिल जाते हैं.
क्या आपको पता है कि ब्रेड में सैंकड़ो छोटे छोटे छेद क्यों होते हैं?
आखिर ब्रेड में ऐसे छेद आते कहां से हैं या क्यों हो जाते हैं?
ब्रेड में स्पंज या फोम जैसी छेदनुमा आकृति कैसे बन जाती है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें ब्रेड के आटे को तैयार करने की विधि पर गौर करना होगा.
इसके पीछे की वजह से ब्रेड बनाने में इस्तेमाल होने वाला खमीर नहीं बल्कि ब्रेड के आटे में पानी मिलाने की यानि उसे गूंथने की की प्रक्रिया है. जिसकी वजह से बनने वाली संरचना डबल रोटी के अंदर छेदनुमा आकृतियां बना देती है.
दरअसल ब्रेड बनाने वाले आटे में पहले खमीर उठाया जाता है. ये खमीर किसी प्रकार के गैस के बुलबुले पैदा नहीं करता, बल्कि खमीर केवल कार्बन डाइऑक्साइड बनाता है.
कार्बन डाइऑक्साइड पहले आटे के गीले होने की अवस्था में घुलती है और CO2 आटे के गूंथे जाने की प्रक्रिया के दौरान गैस के बुलबुलों में अवशोषित हो जाती है. आटा गूंथने के दौरान ज्यादा दबाव डाला जाता है तो हवा के बड़े बुलबुले छोटे हो जाते हैं और यदि वह हलके साथ से आटा गूंथता गया हो तो ब्रेड में बड़े और अनियमित बुलबले बनते हैं. प्रायः देखा जाता है कि आटा गूंथने की प्रक्रिया का ब्रेड में छोटे छेद बनने में ज्यादा योगदान होता है.