गीता के ये श्लोक हल कर देंगे जिंदगी की परेशानियां, हर किसी को पढ़ना चाहिए इन्हें

Zee News Desk
Jul 23, 2024

गीता हमें जिंदगी की परेशानियों से निजात पाने के कई रास्ते बताती है. भगवान कृष्ण ने गीता में अपना दिव्य ज्ञान अर्जुन के माध्यम से संसार को सुनाया.

आइए जानते हैं गीता के कुछ ऐसे श्लोकों के बारे में जिन्हें आत्मसार कर हम जिंदगी की परेशानियों से पीछा छुड़ा सकते हैं.

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन | मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि ||

ये श्लोक हमें बताता है कि हमें कर्म करते रहना चाहिए और फल की चिंता नहीं करना चाहिए. जब हम फल की चिंता नहीं करते और कर्म करते रहते हैं तो चिंताएं हमें घेरती नहीं हैं.

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय, नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि | तथा शरीराणि विहाय जीर्णा-न्यन्यानि संयाति नवानि देही ||

ये श्लोक आत्मा के बारे में बात करता है कि किस तरह आत्मा कपड़े की तरह शरीर बदलती है. इससे मह मौत के डर से बाहर निकल सकते हैं और जो हमारे प्रिय होते हैं उनके दुनिया से चले जाने पर मोह रूपी बंधन को तोड़ सकते हैं.

पत्रं पुष्पं फलं तोयं, यो मे भक्त्या प्रयच्छति | तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि, प्रयतात्मन: ||

ये श्लोक भक्ति और निष्ठा के बारे बताता है. ये हमें बताता है हमारी श्रद्धा कैसी है ये मायने रखता है न कि हम क्या करते हैं यै क्या किसी को देते है.

यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति | तदा गन्तासि निर्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च ||

ये श्लोक हमें बताता है कि अज्ञानता और भ्रम से निकलकर हमें ज्ञान को खोजना चाहिए.

त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन | निर्द्वन्द्वो नित्यसत्त्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान् ||

ये श्लोक हमें भौतिक संसार की सीमाओं को पार करने के लिए कहता है जिनमें तान गुँ होते हैं, सत्व, रज और तम.

योगस्थ: कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय | सिद्ध्यसिद्ध्यो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ||

ये श्लोक बताता है कि हमें परिणामों की चिंता किए बिना अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिए.

जीवन में उतार चढ़ाव लगे रहते हैं पर इससे घबराएं नहीं. आंतरिक शांति(Inner Peace) को पाने की कोशिश करें जो कि योग से मुमकिन है.

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