अमरनाथ गुफा के बारे में कहा जाता है कि इसकी खोज बूटा मलिक नाम के चरवाहे ने की थी. क्या यह बात वाकई सच है.
आज हम आपको ऐसे तथ्य बताएंगे, जिससे आपको पता चलेगा कि इसकी आड़ में कैसे लंबे अर्से से बेवकूफ बनाया जाता रहा है.
पांचवी सदी में लिखे लिंग पुराण अमरेश्वर यानी अमरनाथ में विराजमान बाबा बर्फानी के बारे में लिखा गया है.
इससे साफ है कि अमरनाथ गुफा के बारे में पहले से ही लोगों को जानकारी थी और तपस्वी पर दर्शनों के लिए जाते थे.
12वीं सदी में कल्हण की लिखी राज- तरंगिणी में एक श्लोक में अमरनाथ गुफा के बारे में बताया गया है.
16वीं सदी में अकबर के दरबारी अबुल फजल की लिखी आइने-अकबरी में एक गुफा में बर्फ की आकृति को अमरनाथ कहा जाता है.
17वीं सदी में फ्रांस के मशहूर डॉक्टर फ्रांसुआ बर्नियर ने भी अपनी पुस्तक में अमरनाथ गुफा का ज़िक्र किया है. वे मुगलों के डॉक्टर थे.
बर्नियर ने औरंगजेब के साथ कश्मीर की यात्रा कर अमरनाथ गुफा देखी थी और बाद में इसका वर्णन अपनी किताब में भी किया.
ब्रिटेन के खोजी यात्री Godfrey Thomas Vigne ने 1835 से 1838 के बीच कश्मीर की यात्रा की थी. उन्होंने भी अमरनाथ गुफा देखी थी.
अपनी पुस्तक में उन्होंने लिखा कि सावन के 15वें दिन अमरनाथ गुफा में पूजा हो रही है और वहां देश के कोने कोने से श्रद्धालु मौजूद हैं.