जब महान संत तुलसीदास ने लाश पकड़कर पत्नी के लिए की थी नदी पार

Pooja Attri
Aug 23, 2023

सावन की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को हर साल तुलसीदास जयंती मनाई जाती है. चलिए आज हम आपको उनसे जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा बताते हैं..

रामबोला बचपन में तुलसीदास का नाम था. ऐसा कहा जाता है कि तुलसीदास की पत्नी रत्नावती बहुत सुंदर थीं और तुलसीदास उनसे बेहद प्रेम करते थे.

एक बार उनकी पत्नी रत्नावती मायके चली गईं. तुलसीदास उनसे दूरी बर्दाश्त नहीं कर पाए इसी के चलते उन्होंने ऐसा काम कर डाला जिससे उनकी पत्नी नाराज हो गई.

तुलसीदास को श्रावण मास की एक रात को अपनी पत्नी की याद सताने लगी. फिर उन्होंने तुरंत अपनी पत्नी से मिलने का मन बना लिया.

इसके चलते तुलसीदास आंधी-तूफान से लड़ते हुए जैसे-तैसे गंगा के तट तक पहुंचे. मगर इस उफनती नदी को पार कराने वाला उनको कोई नाविक नहीं मिला.

फिर उसी क्षण तुलसीदास को वहां नदी में एक तैरती हुई लाश नजर आई. इसके बाद तुलसीदास ने उस लाश को पकड़कर नदी को पार किया.

पत्नी क्यों हुई थी नाराज

जब तुलसीदास अपने ससुराल पहुंच गए थे तो उनको समझ नहीं आ रहा था कि वो अपनी पत्नी के कमरे तक कैसे पहुंचें.

इसी बीच उन्होंने कमरे की खिड़की से लटकती हुई सांप की पूंछ को रस्सी समझकर पकड़ लिया था जिससे फिर वो अपनी पत्नी के कमरे में घुस गए थे.

फिर तुलसीदास नें अपनी पत्नी को अपने मिलन की ये सारी बात बताई तो पत्नी उनसे बेहद नाराज हो गई.

पति का अपमान करते हुए रत्नावती ने कहा

अस्थि चर्म मेय देह यह, ता सों ऐसी प्रिति। नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत।।

इसका अर्थ है कि- हड्डी और मांस से इतना प्रेम. अगर इतना ही प्रेम तुमने राम से किया होता तो ये जीवन सुधर जाता.

पत्नी के ये शब्द सुनकर तुलसीदास का अंतर्मन जागा. फिर इनके मन पर राम नाम का ऐसा असर हुआ कि आगे चलकर उन्होंने रामचरित्र मानस की रचना की.

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