करवा चौथ का व्रत महिलाओं के लिए बेहद खास है. इस दिन का महिलाओं को साल भर इंतजार रहता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और पति की लंबी आयु के लिए कामना करती हैं.

Jul 25, 2023

करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है. इस बार करवा चौथ 1 नवंबर को मनाया जाएगा.

करवा चौथ की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है और इसके लिए कई सामग्री की जरूरत पड़ती है. इन्हीं सामग्रियों में से एक करवा भी है.

करवा चौथ के व्रत में सबसे खास सामग्री करवा ही होती है. इसके बिना करवा चौथ की पूजा पूरी ही नहीं हो सकती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर करवा क्या होता है.

करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले हो जाती है. पूरे दिन बिना जल ग्रहण किए महिलाएं व्रत रखती हैं और रात को चांद देखने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है.

करवा चौथ की पूजा में करवा का इस्तेमाल किया जाता है. मिट्टी की बनी हुई यह वस्तु काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. करवे को देवी का प्रतीक मानकर पूजा की जाती है.

हालांकि, वर्तमान समय में लोग तांबे, स्टील के बने लोटे का इस्तेमाल भी करवे के तौर पर करने लगे हैं. शहरों में मिट्टी के करवे आसानी से नहीं मिलते हैं, इसलिए लोग धातु से बने करवे का इस्तेमाल करते हैं.

करवा चौथ के व्रत के लिए दो करवे तैयार किए जाते हैं. इनमें से एक करवा देवी मां का प्रतीक होता है और दूसरा व्रती महिलाओं का.

करवे को पूजा के लिए इस्तेमाल करने से पहले उसे साफ किया जाता है, फिर उस करवे में रक्षा सूत्र बांधकर, हल्दी और आटे के मिश्रण से एक स्वस्तिक चिह्न बनाया जाता है.

इसके बाद करवे पर 13 रोली की बिंदी को रखकर हाथ में गेहूं या चावल के दाने लेकर महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनने के लिए जाती हैं. कथा सुनने के दौरान व्रती महिलाएं दोनों करवों को पूजा स्थान पर रखती हैं.

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