ये वरदान और श्राप ही बने इन 7 महान योद्धाओं के अंत का कारण

Zee News Desk
Jul 16, 2024

भारतीय पौराणिक कथाओं में अक्सर वरदान और अभिशाप की कहानियां सुनने को मिलती हैं.

आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही श्राप और वरदान के बारे में जो कुछ महान योद्धाओं के मृत्यु का कारण बनें.

कर्ण का श्राप

भगवान परशुराम ने कर्ण के भेद को जानने के बाद ये श्राप दिया था कि जिस दिन उसे अपनी कुशलता की सबसे अधिक आवश्यकता होगी, वह उनके द्वारा दी गई विद्या भूल जाएगा. यदि वह श्राप न दिया गया होता तो कर्ण महाभारत का एक अलग ही नायक होता.

पितामह भीष्म की इच्छा मृत्यु

भीष्म को अपनी मृत्यु का समय चुनने का वरदान था. कुरु वंश के इस अजेय पोते ने महाभारत युद्ध में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

त्रिशंकु का श्राप

त्रिशंकु को पृथ्वी और स्वर्ग के लोकों के बीच निलंबित कर दिया गया था. विश्वामित्र के श्राप के कारण त्रिशंकु का वास पृथ्वी और स्वर्ग के बीच ही रह गया.

बाली की ताकत

बाली को वरदान दिया गया था कि जब भी उसके शत्रु उसका सामना करेंगे तो उनकी ताकत आधी हो जाएगी. बाली को मिला ये वरदान अभिशाप में बदल गया जब राम ने दूर से बाण मारकर उनका अंत कर दिया.

कृष्ण का श्राप

महाभारत युद्ध के खत्म होने के बाद गांधारी ने अपने पुत्रों की मृत्यु का दोष कृष्ण पर मढ़ा और कृष्ण भगवान को श्राप दिया कि उनका भी यही हाल होगा और उनका वंश दुनिया से लुप्त हो जाएगा.

शकुनि का वरदान

शकुनि के पास पासे के किसी भी खेल के परिणाम को नियंत्रित करने में सक्षम होने का वरदान था. इसी पासे के खेल में शकुनि ने युधिष्ठिर को हराकर महाभारत जैसे युद्ध की चिंगारी भड़का दी.

अश्वत्थामा का श्राप

महाभारत युद्ध में सामूहिक विनाश के हथियारों का उपयोग करने का साहस करने के बाद अश्वत्थामा को चिरकाल तक धरती पर कोढ़ी बनकर भटकने का श्राप दिया था.

डिसक्लेमर

यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं और धर्मग्रंथों पर आधारित है. यह जानकारी जी न्यूज की राय नहीं है.

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