धर्म और विज्ञान की लड़ाई सदियों से चली आ रही है. विज्ञान को अब तक ईश्वर के अस्तित्व का कोई प्रमाण नहीं मिला है.
कौन सी ताकत?
क्या ईश्वर सचमुच है? या कोई परालौकिक शक्ति है जो ब्रह्मांड को चला रही है? दुनिया के 5 महानतम वैज्ञानिकों के विचार आगे जानिए.
गैलीलियो गैलिली
इटैलियन वैज्ञानिक गैलीलियो गैलिली को आधुनिक विज्ञान का जनक कहा जाता है. उन्हें ईश्वर की सत्ता में यकीन नहीं था. गैलिली का रोमन कैथोलिक चर्च से लंबा झगड़ा चला.
अल्बर्ट आइंस्टीन
20वीं सदी के महानतम वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन 'जीवन के रहस्य' से संतुष्ट थे. आइंस्टीन ने कहा था, 'मैं ऐसे ईश्वर की कल्पना नहीं कर सकता जो अपनी रचना की वस्तुओं को पुरस्कार और दंड देता हो, या जिसके पास उस तरह की इच्छा हो जैसा हम स्वयं में अनुभव करते हैं.'
चार्ल्स डार्विन
प्राकृतिक चयन का सिद्धांत देने वाले चार्ल्स डार्विन का मन डोलता रहा. वह यह मानने को राजी नहीं थे कि एक सर्वशक्तिमान ईश्वर ने इतनी पीड़ा से भरी दुनिया बनाई होगी. हालांकि, वह इस निष्कर्ष से भी संतुष्ट नहीं थे कि यह 'अद्भुत ब्रह्मांड' किसी 'पाशविक बल' का परिणाम था.
मैरी क्यूरी
नोबेल पुरस्कार जीतने वाली पहली महिला वैज्ञानिक, मैरी क्यूरी एक कैथोलिक परिवार में पली-बढ़ी थीं. जवानी में वह अज्ञेयवाद की ओर मुड़ गईं. क्यूरी ने कहा था, 'जीवन में किसी भी चीज से डरना नहीं है, बस समझना है. अब और अधिक समझने का समय है, ताकि हम कम डरें.'
कार्ल सेगन
मशहूर खगोलविद कार्ल सेगन मानते थे कि विज्ञान शायद एक दिन ईश्वर को साबित करने के लिए ठोस सबूत ढूंढ लेगा. हालांकि, उन्हें लगता था कि इसकी संभावना बेहद कम है. सेगन का कहा था, 'विज्ञान न केवल आध्यात्मिकता के अनुकूल है; यह आध्यात्मिकता का एक गहरा स्रोत है.'