आइंस्टीन की वह भविष्यवाणी जो 70 साल बाद सच हुई

Deepak Verma
Jul 01, 2024

जीनियस साइंटिस्ट

अल्बर्ट आइंस्टीन को दुनिया का महानतम वैज्ञानिक माना जाता है. उन्होंने 1924-25 में एक ऐसी भविष्यवाणी की जो 70 साल बाद सही साबित हुई.

वह भविष्यवाणी

1924-25 के एक रिसर्च पेपर में, आइंस्टीन ने पहली बार 'बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट' की भविष्यवाणी की. उन्होंने इस पेपर में भारतीय भौतिक विज्ञानी, सत्येंद्र नाथ बोस को श्रेय दिया था.

क्या है बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट

बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट, पदार्थ की वह अवस्था है जो आमतौर पर तब बनती है जब बहुत कम घनत्व वाले बोसॉन की गैस को परम शून्य (-273.15 °C या -459.67 °F या 0 K) के बहुत करीब तापमान तक ठंडा किया जाता है.

आइंस्टीन के अनुसार, ऐसी परिस्थितियों में, बोसॉन का एक बड़ा हिस्सा सबसे कम क्वांटम अवस्था में होता है.

सच साबित हुई

आइंस्टीन की यह भविष्यवाणी लगभग 70 साल बाद सही साबित हुई. 5 जून 1995 को, एरिक कॉर्नेल और कार्ल वीमन ने कोलोराडो यूनिवर्सिटी की NIST-JILA लैब में, 170 नैनोकेल्विन (nK) तक ठंडा किए गए रुबिडियम परमाणुओं की गैस में पहला बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट तैयार किया.

फिर लगी मुहर

उसी साल बाद में, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के वोल्फगैंग केटरले ने सोडियम परमाणुओं से बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट तैयार किया.

वैज्ञानिकों को नोबेल

आइंस्टीन की भविष्यवाणी को सच साबित करने के लिए 2001 में कॉर्नेल, वीमन और केटरले को भौतिकी में साझा नोबेल पुरस्कार मिला.

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