हिमालय की पिघलती बर्फ में निकले 1700 प्राचीन वायरस, क्या फिर से महामारी का शिकार हो सकते हैं इंसान?

Zee News Desk
Sep 09, 2024

वायरस

वैज्ञानिकों को तिब्बती पठार पर गुलिया ग्लेशियर की बर्फ में वायरस की लगभग 1700 प्रजातियां पाई गई हैं.

बर्फ के कोर

बर्फ के टुकड़े समुद्र तल से लगभग 4 मील ऊपर ग्लेशियर से निकाले गए थे. इनमें 41,000 वर्षों के 9 अलग-अलग समय के DNA शामिल है.

जलवायु

अध्ययन से पता चला है कि कैसे इन वायरस ने Climate Change को स्वीकार किया. एक वायरल समूह लगभग 11,500 साल पुराना है.

परिवर्तन

शोधकर्ताओं का लक्ष्य वायरस और जलवायु के बीच के संबंध को समझना है. इससे ये समझना आसान होगा कि ये वायरस पर्यावरण में हो रहे बदलावों पर किस तरह प्रतिक्रिया कर सकते हैं.

मूवमेंट

लगभग एक चौथाई वायरस विश्व के अन्य भागों में पाई जाने वाली प्रजातियों से मिलते-जुलते हैं जिससे ये पता चला है कि ये आर्कटिक जैसे क्षेत्रों से यहां आए होंगे.

व्यवहार

ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के सह-लेखक लोनी थॉम्पसन के अनुसार. जलवायु परिवर्तन के जवाब में वायरस के व्यवहार के बारे में भविष्यवाणियों को बढ़ा सकती है.

जोखिम

अन्य स्थानों पर पिघलती हुई पर्माफ्रॉस्ट में इसी प्रकार के प्राचीन वायरस पाए गए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इन वायरसों ने जानवर या इंसानों के बजाय जीवाणुओं को संक्रमित किया है.

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