जानवरों की दुनिया बड़ी अनोखी है. इंसानों की तरह जानवर भी एक-दूसरे से बात करते हैं. बस हम उनकी भाषा नहीं समझ पाते. (AI Generated Image)
आइए आपको हाथियों, चमगादड़ों, चींटियों से लेकर मधुमक्खियों और मेंढकों की भाषा के बारे में बताते हैं.
बंदर
बंदर और लंगूर जैसे प्राइमेट्स कई तरह की आवाजों, चेहरे के हाव-भावों और इशारों के जरिए एक-दूसरे से बात करते हैं.
हाथी
हाथी कई तरह की आवाजों, बॉडी लैंग्वेज और सीस्मिक सिग्नलों का इस्तेमाल करते हैं. हाथी बेहद लो-फ्रीक्वेंसी का कंपन पैदा करते हैं जो जमीन में कई किलोमीटर दूर तक यात्रा करता है.
डॉल्फिन
डॉल्फिन्स एक-दूसरे से बात करने के लिए क्लिक, सीटियां और शरीर की हरकतों की एक सीरीज का यूज करती हैं. हर डॉल्फिन की अनोखी सीटी होती है जैसे हमारा-आपका नाम होता है.
पक्षी
पक्षियों को उनकी आवाज से पहचाना जा सकता है. वे अपनी पुकार का इस्तेमाल साथी को बुलाने, अपने इलाके की रक्षा करने और खतरा बताने के लिए करते हैं.
व्हेल
व्हेल्स खासतौर पर हंपबैक व्हेल्स घंटों गुनगुनाती रहती हैं. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये गीत उन्हें साथी ढूंढने में मदद करते हैं.
मधुमक्खी
मधुमक्खियां एक-दूसरे से 'वैगल डांस' के जरिए एक-दूसरे से बात करती हैं. डांस की मुद्रा से बाकी मधुमक्खियां समझ जाती हैं कि कोई मधुमक्खी क्या कहने की कोशिश कर रही है.
मेंढक
मेंढकों को उनकी टर्राहट के लिए जाना जाता है. नर इसका इस्तेमाल मादाओं को रिझाने में करते हैं. दूसरे नरों को चेतावनी देने के लिए भी मेंढक टर्राते हैं.
चमगादड़
चमगादड़ ईकोलोकेशन के जरिए रास्ता और खाना ढूंढते हैं. वह बेहद हाई-पिच की आवाज निकालते हैं और वापस लौटने वाले ईको से अनुमान लगाते हैं.
भेड़िया
भेड़िये आवाज, बॉडी लैंग्वेज और गंध के जरिए बातचीत करते हैं. उनकी चीखें झुंड को इकट्ठा करने, क्षेत्र की सीमाओं का संकेत देने और शिकार को कोऑर्डिनेट करने का काम करती हैं.