महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने इजरायल के बारे में क्या कहा था?
Deepak Verma
Jul 15, 2024
यहूदी थे आइंस्टीन
अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म एक यहूदी परिवार में हुआ था. उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, यहूदियों पर अत्याचार को अपनी आंखों से देखा.
मैंडेट फिलिस्तीन
1937 में पील आयोग ने मैंडेट फिलिस्तीन को एक अरब राज्य और एक यहूदी राज्य में बांटने का सुझाव दिया. दूसरे विश्व युद्ध के बाद, बढ़ती हिंसा को देखते हुए, ब्रिटेन ने इस मुद्दे को हाल ही में बने संयुक्त राष्ट्र को सौंप दिया.
बंटवारे का प्रस्ताव
UN में प्रस्ताव आया कि यहूदी राज्य को फिलिस्तीन का लगभग 56% इलाका मिलना था, जिसमें 82% यहूदी आबादी शामिल थी, हालांकि यह यरुशलम से अलग होगा.
आइंस्टीन का विरोध
इस योजना को अधिकांश यहूदी आबादी ने स्वीकार कर लिया, लेकिन ज्यादातर अरब आबादी ने इसे ठुकरा दिया. आइंस्टीन भी इस योजना के विरोध में थे.
जताई आपत्ति
आइंस्टीन ने मैंडेट फिलिस्तीन को स्वतंत्र अरब और यहूदी देशों में विभाजित करने के प्रस्ताव के बारे में सार्वजनिक रूप से अपनी आपत्तियां जाहिर कीं.
क्यों विरोध?
आइंस्टीन ने मैंडेट फिलिस्तीन (अंग्रेजी शासन) में एक यहूदी राष्ट्रीय मातृभूमि के निर्माण का समर्थन किया. लेकिन, आइंस्टीन एक स्वतंत्र यहूदी राज्य जिसकी सीमाएं हों, सेना हो और दुनिया में ताकत हो, के विचार के विरोधी थे.
बना इजरायल
संयुक्त राष्ट्र ने आखिरकार फिलिस्तीन के विभाजन और एक यहूदी राज्य की स्थापना की सिफारिश की. ऐसा होते ही, 1948 में अरब-इजरायल युद्ध छिड़ गया.
आइंस्टीन को ऑफर
जब 1952 में इजरायल के राष्ट्रपति चैम वीजमैन की मृत्यु हो गई, तो आइंस्टीन को इजरायल का दूसरा राष्ट्रपति बनने के लिए कहा गया था.
महान वैज्ञानिक का इनकार
आइंस्टीन ने यह कहते हुए मना कर दिया कि उनके पास 'न तो मनुष्यों से निपटने की प्राकृतिक क्षमता है और न ही अनुभव है. उन्होंने लिखा, 'मैं हमारे इजरायल राज्य की पेशकश से बहुत प्रभावित हूं, और एक साथ दुखी और शर्मिंदा हूं कि मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता.'