ग्रह, चंद्रमा, तारे... ब्रह्मांड में अधिकतर चीजें गोल ही क्यों होती हैं?

(Photos : NASA)

Deepak Verma
Jun 12, 2024

ऐसा कैसे?

ग्रह-उपग्रह, तारे, आकाशगंगाएं... कभी सोचा है कि अंतरिक्ष में अधिकतर चीजें गोलाकार ही क्यों होती हैं?

अधिकतर चीजों के गोल होने का कारण है गुरुत्वाकर्षण यानी ग्रेविटी.

सेल्फ-ग्रेविटी

यह गोलाकार प्रभाव स्व-गुरुत्वाकर्षण (सेल्फ-ग्रेविटी) का नतीजा है. वह गुरुत्वाकर्षण बल जो किसी वस्तु द्वारा खुद पर लगाया जाता है.

प्रभाव

एक बार जब कोई ग्रह, या शायद कोई चंद्रमा, पर्याप्त द्रव्यमान जमा कर लेता है, तो उसकी सेल्फ-ग्रेविटी उसे एक गोलाकार आकार में खींच लेगी.

करीब 13.8 बिलियन साल पहले, बिग बैंग के बाद अंतरिक्ष के पिंडों का निर्माण हुआ.

शुरुआती प्रक्रिया

धूल के छोटे-छोटे कण किसी डोनट जैसे दिखने वाले धूल के बादलों में जमा होकर आपस में टकराने लगे. नासा के अनुसार, यदि टक्कर काफी हल्की थी, तो धूल के कण आपस में मिल गए.

स्नोबॉल इफेक्ट

टक्कर के बाद टक्कर ने स्नोबॉल प्रभाव पैदा किया. किसी उभरते ग्रह में जितना अधिक द्रव्यमान जमा होता है, उतना ही अधिक उसका गुरुत्वाकर्षण बढ़ता है तथा वह उतना ही अधिक पदार्थ आकर्षित करता है.

गुरुत्वाकर्षण सभी पदार्थों को गुरुत्वाकर्षण केंद्र (सेंटर ऑफ ग्रेविटी) की ओर खींचता है.

किचन सिंक

इसे किचन सिंक के उदाहरण से समझें. जैसे सारा पानी बीच में मौजूद छेद से नीचे जाता है. ठीक उसी तरह, पदार्थ का हर टुकड़ा सेंटर ऑफ ग्रेविटी की ओर भागता है.

बैलेंस की तलाश

ग्रह जैसे पिंड तब तक पदार्थ को इधर-उधर खिसकाते रहेंगे जब तक कि उन्हें संतुलन न मिल जाए, एक ऐसी स्थिति जिसमें हर बिंदु केंद्र के जितना संभव हो सके उतना करीब हो.

परफेक्ट गोला

अंतरिक्ष में इस तरह का संतुलन हासिल करने वाला एकमात्र आकार एक गोला है. बुध और शुक्र लगभग परफेक्ट गोले हैं क्योंकि वे धीमी गति से घूमने वाले चट्टानी ग्रह हैं.

अलग साइज भी

ब्रह्मांड में गोलाकार पिंडों की भरमार है, लेकिन सभी ऐसे नहीं. एस्टेरॉयड्स और कॉमेट्स अलग-अलग आकार में मिलते हैं.

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