बनारस का ऐसा घाट, जहां भगवान विष्णु ने किया था पहला स्नान!

Zee News Desk
Jun 11, 2024

पाप से मुक्ति

इस घाट पर पापों से मुक्ति के लिए वैशाख माह और प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी अर्थात बैकुंठ चतुर्दशी में स्नान करने का खास महत्व है.

पहला स्नान

कहते हैं बनारस के मणिकर्णिका घाट पर सबसे पहले भगवान विष्णु ने स्नान किया था. और शिव जी के कई वर्षों की तपस्या करने के बाद एक कुंड बनाया था.

मणिकर्णिका कुंड

शिवजी हजारों वर्षों की योग निद्रा से उठें, तो विष्णु जी के चक्र से बनाए हुए कुंड में उन्होंने स्नान किया था. उस स्थान (कुएं) पर उनके कान का कुंडल खो गया. तभी से इस घाट का नाम मणिकर्णिका पड़ गया.

अखंड ज्योति

यह सबसे पुराने घाटों में से एक है. यहां प्रतिदिन 300 से भी अधिक शवों को जलाया जाता है, जिसे अखंड ज्योति के रूप में देखा जाता है. यहां पर जिसका भी अंतिम संस्कार होता है, उसको सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

देव दिवाली

मणिकर्णिका घाट पर कार्तिक पूर्णिमा के ही दिन सभी देवी और देवता त्रिपुरासुर के वध की खुशी में स्नान करके देव दिवाली मनाते हैं.

चैत्र नवरात्री की अष्टमी

अगले जन्म में वैश्या न बनें और इस तरह के जीवन से मुक्ति मिले, इसलिए चैत्र नवरात्री की अष्टमी को दिन वैश्याओं का विशेष नृत्य कार्यक्रम होता है.

चिता के राख की होली

यहां फाल्गुन माह की एकादशी के दिन चिता की राख से होली मनाई जाती है.

शक्तिपीठ

एक मान्यता है कि मणिकर्णिका नाम, यहां पर माता सती के कान का कुंडल गिरने की वजह से पड़ा (मणि - कुंडल, कर्णिका - कान ). यहां पर माता का शक्तिपीठ भी है.

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