24 मई को 10 हजार लोगों की हो गई थी मौत, जानें तबाही का इतिहास

krishna pandey
May 23, 2024

वैसे तो देश और दुनिया के इतिहास में 24 मई की तारीख में कई महत्वपूर्ण घटनाएं दर्ज हैं. लेकिन आज के ही दिन 1985 में जो हुआ, उसे पूरी दुनिया ने देखा और आज भी उसे याद कर करके कांप जाते हैं.

साल 1995, दिन 24 मई. बांग्लादेश में राष्ट्रपति Hussain Muhammad Ershad थे और अतर रहमान खान बांग्लादेश के पांचवें प्रधानमंत्री थे. देश के राजनीतिक-सामाजिक हालात सुधर ही रहे थे. लेकिन...

पांचवें महीने की 24वीं तारीख को जो हुआ, उसने बांग्लादेश के तीन बड़े शहर को तहस-नहस कर दिया. उस रात जो हुआ दो दिन तक चला और चटगांव, कॉक्स बाजार व नोआखली बिल्कुल उजड़ से गए.

एक कहावत है न कि जिंदगी में तूफान आ गया तो ठीक इसी तरह बांग्लादेश में जबरदस्त तूफान आया. जिसने 1985 में मई 25-26 को घोर तबाही मचाई. तब के दौर के एक पुराने रेडियो स्टेशन पर तीन-चार दिन पहले आने वाले तूफानी संकट की जानकारी दे गई थी.

23 मई से ही मौसम ने रुख बदलना शुरू किया था और बंगाल की खाड़ी के तटीय लोग तेज हवा के झोंके झेल रहे थे. 24-25 मई को यह हवाएं तेज चक्रवात में बदल गईं. चटगांव में अधिकतम हवा की गति 154 किमी/घंटा थी, सैंडीप में 140 किमी/घंटा, कॉक्स बाजार में 100 किमी/घंटा की गति से हवा चल रही थी.

इस तेज झोंके ने तबाही का पहला नजारा दिखाया और तटीय इलाके में जो भी सामने आया इसके आगोश में समाता चला गया. इस तूफान से तकरीबन 70 किलोमीटर लंबी सड़क पूरी तरह टूट गईं. हालत ऐसी हो गई कि लगता था सड़क यहां कभी थी ही नहीं.

25 मई को तूफान का उछाल 3.0-4.6 मीटर की ऊंचाई तक पहुंच गया. इस भयंकर गंभीर चक्रवात में 11,069 लोग मारे गए, 135,033 मवेशी भी मौत के मुंह में समा गए और 94,379 घर और 74 किमी सड़क, और तटबंध पूरी तरह नष्ट हो गए. तब तूफानों के नाम रखने की परंपरा विकसित तौर पर सामने नहीं आई थी.

इस विनाश को ट्रॉपिकल स्टॉर्म वन (Tropical Storm One (1B)) नाम दिया गया. यह 22 मई 1985 को बंगाल की मध्य खाड़ी में विकसित हुआ, 25 तारीख को बांग्लादेश से टकराने से पहले 70 मील प्रति घंटे की रफ्तार से मजबूत हुआ. तूफान ने मूसलाधार बारिश और बाढ़ ला दी, जो बड़ी संख्या में लोगों की मौत का कारणा बनीं.

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