वो महिला प्रधानमंत्री, जिसके परिवार के 18 लोगों की कर दी गई थी हत्या

जरा सोचिए, एक बेटी के परिवार के जुड़े 18 लोगों की हत्या एक साथ हो जाए, तो उस बेटी का क्या हाल होगा, लेकिन यही बेटी आगे चलकर देश की प्रधानमंत्री बनती है, वह भी एक नहीं कई बार, क्या आप जानते हैं उसका नाम?

कौन हैं शेख हसीना?

28 सितंबर 1947 को एक लड़की का जन्म होता है, नाम रखा जाता है शेख हसीना. बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की सबसे बड़ी बेटी शेख हसीना की शुरुआती जीवन पूर्वी बंगाल के तुंगीपाड़ा में बीता है. इसके बाद उनका परिवार ढाका शिफ्ट हो गया.

कब राजनीति में हुई एंट्री

शेख हसीना पहली बार छात्र राजनीति के जरिए सियासत में उतरीं. साल 1966 में जब वह ईडन महिला कॉलेज में पढ़ रही थीं, तब स्टूडेंट यूनियन का चुनाव लड़ा और वाइस प्रेसिडेंट बनीं. इसके बाद वह अपने पिता की पार्टी आवामी लीग के स्टूडेंट विंग का कामकाज संभालने लगीं. यूनिवर्सिटी ऑफ ढाका में भी छात्र राजनीति में सक्रिय रहीं.

अचानक जिंदगी में आ गया भूचाज

शेख हसीना की जिंदगी में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन साल 1975 किसी बुरे सपने की तरह आया. बांग्लादेश की सेना ने बगावत कर दी. हसीना के परिवार के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया. हथियारबंद लड़ाकों ने शेख हसीना की मां, उनके तीन भाई और पिता शेख मुजीबुर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) की हत्या कर दी.

जानें खुद कैसे बची जिंदा

शेख हसीना ने एक इंटरव्यू में बताया था कि लगभग 18 सदस्य जिनमें ज्यादातर मेरे रिश्तेदार, कुछ नौकर और उनके बच्चे, कुछ अतिथि और मेरे चाचा शामिल थे उनकी हत्या कर दी गई थी. उस वक्त हसीना अपने पति वाजिद मियां और छोटी बहन के साथ यूरोप में थीं. उनकी जान बच गई.

भारत ने दी शरण, 6 साल दिल्ली में रहीं

मां, बाप और 3 भाईयों की हत्या के बाद शेख हसीना कुछ वक्त तक जर्मनी में रहीं. उस समय भारत में इंदिरा गांधी सत्ता में थीं. इंदिरा सरकार ने, फौरन शेख हसीना को राजनीतिक शरण ऑफर की. हसीना अपनी बहन के साथ दिल्ली आ गईं और यहां करीब 6 साल रहीं.

बांग्लादेश की राजनीति में कदम

बांग्लादेश लौटने के बाद हसीना ने अपने पिता की पार्टी को आगे बढ़ाने का फैसला किया. साल 1986 में पहली बार आम चुनाव में उतरीं. उस वक्त देश में मार्शल लॉ लगा हुआ था. इस चुनाव में हसीना, विपक्ष की नेता चुनी गईं. साल 1991 में बांग्लादेश में पहली बार स्वतंत्र तौर पर आम चुनाव हुए. हालांकि इस चुनाव में शेख हसीना की पार्टी को बहुमत नहीं मिला. विपक्षी, खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी सत्ता में आई.

लगातार बांग्लोदश की बनीं हैं पीएम

1996 में फिर चुनाव हुए और इस बार शेख हसीना की पार्टी भारी भरकम बहुमत से सत्ता में आई. हसीना पहली बार प्रधानमंत्री बनीं. हालांकि 2001 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2009 में हसीना को फिर सत्ता मिली तब से लगातार पीएम की गद्दी पर हैं. हसीना, साल 1986 से अब तक इस से आठ चुनाव जीत चुकी हैं.

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