हिटलर के नाजी जर्मनी में यहूदियों का बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ. उस दौर में लगभग 60 लाख यहूदी मारे गए थे. (Photos : The National WWII Museum)
हिटलर का दखल
1938 में जब जर्मनी ने ऑस्ट्रिया पर कब्जा किया तो एक यहूदी की जान बचाने के लिए खुद हिटलर ने दखल दिया था.
कौन था वो
ऑस्ट्रिया के उस यहूदी का नाम था एडवर्ड बलोच. ब्रिगिट हैमन ने अपनी किताब 'हिटलर का कुलीन यहूदी: गरीब डॉक्टर एडवर्ड बलोच का जीवन' में विस्तार से लिखा है.
मददगार डॉक्टर
बलोच कई सालों तक हिटलर और उसके परिवार के डॉक्टर रहे थे. जब हिटलर की मां को ब्रेस्ट कैंसर हुआ तब बलोच ने बड़ी मदद की. कई बार उन्होंने इलाज के बदले कोई पैसा नहीं लिया.
1938 की कहानी
ऑस्ट्रिया पर जर्मन कब्जे के बाद वहां यहूदियों का जीना मुहाल हो गया था. उस वक्त 66 साल के रहे बलोच ने अपनी मेडिकल प्रैक्टिस बंद कर दी.
हिटलर से मदद
एडवर्ड बलोच ने मदद के लिए हिटलर को पत्र लिखा. हिटलर ने बलोच को गेस्टापो (नाजी जर्मनी की सीक्रेट पुलिस) की स्पेशल प्रोटेक्शन में रखवा दिया.
मिली सुरक्षा
एडवर्ड बलोच इकलौते यहूदी थे जिन्हें ऐसी सुरक्षा मिली थी. वह इमिग्रेशन की प्रक्रिया पूरी होने तक पत्नी के साथ उसी घर में रहे.
US में बसे
अमेरिका जाने से पहले एडवर्ड बलोच ने अपना घर भी बेच दिया था, वह भी मार्केट वैल्यू पर. उस समय किसी यहूदी के लिए ऐसा कर पाना असंभव था.
कैंसर से मौत
1945 में हिटलर की आत्महत्या के लगभग महीने भर बाद, 73 साल की उम्र में एडवर्ड बलोच ने भी पेट के कैंसर से दम तोड़ दिया.