अंतरिक्षयात्री जीरो ग्रैविटी में कैसे बात करते हैं?

Shwetank Ratnamber
Aug 31, 2023

सबसे बड़ी चुनौती

स्‍पेस मिशन में एस्‍ट्रोनॉट्स के लिए आपस में बात करना चुनौती भरा काम होता है.

कम लोगों को पता है ये बात

अंतरिक्ष में वैक्यूम यानी निर्वात होने के कारण आवाज ट्रैवल नहीं कर पाती है.

लाख टके का सवाल

जिस कंपन को हम कान से सुन सकते हैं, वह ध्वनि होती है. एक दूसरे की आवाज सुनने के लिए हवा जैसे माध्यम की जरूरत होती है. यही वजह है कि जब चंद्रमा या स्पेस पर दो लोग जाएं तो वो एक-दूसरे की आवाज नहीं सुन सकेंगे.

आवाज स्‍पेस में करती ही नहीं है ट्रैवल

जब अंतरिक्ष में गुरुत्‍वाकर्षण और वायुमंडलीय दाब है ही नहीं, तो फिर एस्‍ट्रोनॉट्स आपस में बात कैसे करते हैं, इस सवाल का जवाब आपको हम बताते हैं.

इस ट्रिक का करते हैं इस्तेमाल

नासा ने बताया कि अंतरिक्षयात्री किसी भी देश को हों वो आपस में बात करने के लिए रेडियो सिस्‍टम और कम्‍युनिकेशन चैनल्‍स के पूरे नेटवर्क का इस्‍तेमाल करते हैं.

बिना बोले भी कर लेते हैं बात

अगर वहां का रेडियो सिस्‍टम बंद हो जाए या फिर कोई दूसरी गड़बड़ हो जाए तो आपात स्थिति में हमारे अंतरिक्षयात्री स्‍पेस वॉक के वक्‍त आपस में बिना बोले ही संवाद कर लेते हैं.

साइलेंस सिग्‍नल्‍स की प्रैक्टिस

इसके लिए उन्‍हें खास प्रशिक्षण दिया जाता है. स्‍पेस मिशन पर जाने से पहले एस्‍ट्रोनॉट्स को साइलेंस सिग्‍नल्‍स की प्रैक्टिस कराई जाती है.

नासा ने दिया जवाब

एस्‍ट्रोनॉट्स को स्पेस स्‍टेशन पर रहने और काम करने की ट्रेनिंग के दौरान साइलेंस सिग्‍नल्‍स की मदद से बात करना सिखाया जाता है. अहम जानकारियां भेजने के लिए एस्‍ट्रोनॉट्स का सभी संकेतों को समझना बेहद जरूरी है. क्योंकि वहां गलती की कोई गुंजाइश नहीं है.

VIEW ALL

Read Next Story