यह प्रकाश और जीवन का त्यौहार है. इसे पूरे देश में बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है, लेकिन कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां दशहरे पर रावण का दहन नहीं किया जाता बल्कि पूजा की जाती है.
मांड्या और कोलार, कर्नाटक
इस शहर के लोग भगवान शिव के प्रति रावण की भक्ति और बलिदान की प्रशंसा करते हैं. इसलिए, वे उनकी पूजा करने में विश्वास करते हैं.
कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
यह कांगड़ा शहर ही था जहां रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न किया था और इसलिए इस स्थान के लोग उन्हें शिव का महान भक्त मानते हैं.
जोधपुर, राजस्थान
मुदगिल ब्राह्मण रावण के वंशज हैं, जिसके कारण वे उसे जलाते नहीं हैं. इस दिन वे लोग रावण का श्राद्ध मनाते हैं और पिंडदान करते हैं.
गढ़चिरौली, महाराष्ट्र
इस शहर के लोग रावण और उनके पुत्र को भगवान मानते हैं और इसलिए त्योहार के दौरान उनकी पूजा-अर्चना करते हैं.
बिसरख, उत्तर प्रदेश
इस शहर को रावण का जन्मस्थान माना जाता है और क्षेत्र के लोग उनकी पूजा करते हैं.
मंदसौर, मध्य प्रदेश
रामायण के अनुसार रावण की पत्नी मंदसौर की थी और रावण इस शहर के दामाद थे, इसलिए यहां रावण दहन नहीं किया जाता है.