कोरोना काल के दौरान जब कई तीर्थ स्थल बंद थे तब जगन्नाथ मंदिर के तीन द्वार भी बंद कर दिए गए थे. दर्शनों के लिए केवल एक ही दरवाजा खुला हुआ था.
Poonam
Jun 17, 2024
मंदिर के तीन द्वार खुले रहने की वजह से श्रद्धालु एक दरवाजे से ही प्रवेश कर रहे थे. ऐसे में दरवाजे के बाहर लंबी लाइन लग जाती थी और भीड़ भी बहुत ज्यादा हो जाती थी.
अब चारो द्वार खुल जाने से श्रद्धालुओं को दर्शनों के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा. इन चारो द्वारों को धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व दिया गया है.
जगन्नाथ मंदिर में पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी चार द्वार हैं. जिन्हें सिंहद्वार, व्याघ्र द्वार, हस्ति द्वार और अश्व द्वार कहा जाता है. इन्हें ज्ञान, धर्म, ऐश्वर्य और वैराग्य का प्रतीक माना जाता है.
पहले द्वार को सिंहद्वार कहा जाता है. यह जगन्नाथ मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार है. इस द्वार पर दो शेरों की प्रतिमाएं बनी हैं. मान्यता है कि इस द्वार से प्रवेश करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है.
जगन्नाथ मंदिर का दूसरा द्वार जिसे व्याघ्र द्वार कहा जाता है. इस द्वार पर बाघ की प्रतिमा बनी हुई है. यह धर्म का पालन करने की शिक्षा देता है. इस द्वार से साधु-संत प्रवेश करते हैं.
मंदिर के तीसरे द्वार को हस्ति द्वार कहा जाता है. इसके दोनों तरफ हाथियों की प्रतिमाएं हैं. यह द्वार ऋषियों के प्रवेश के लिए है.
मंदिर का चौथा द्वार जिसे अश्व द्वार कहा जाता है. इस द्वार के दोनों ओर घोड़ों की मूर्तियां बनी हुई हैं. इन घोड़ों की पीठ पर भगवान जगन्नाथ और बालभद्र युद्ध हैं. इस दरवाजे को विजय का रूप माना जाता है.