देव भूमि हिमाचल में स्थित माता चिंतपूर्णी मंदिर का विशेष महत्त्व है. मां चिंतपूर्णी मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक प्रमुख तीर्थस्थल है.
मां चिंतपूर्णी का अर्थ चिंता को दूर करने वाली देवी है. ऐसा माना जाता है कि मां चिंतपूर्णी यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं की चिंता दूर करती है.
माता चिंतपूर्णी मंदिर को छिन्नमस्तिका मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.
माता चिंतपूर्णी मंदिर हिमाचल के ऊना जिले में स्थित है जो चंडीगढ़ से लगभग 170 KM की दूरी पर है.
चिंतपूर्णी मंदिर के इतिहास की बात करें तो प्राचीन कथाओं के अनुसार यहां पर माता सती के पैर गिरे थे और इसी स्थान पर माता छिन्नमस्तिका ने अपनी सखियों की भूख शांत करने के लिए अपना शीश काट लिया था.
मां चिंतपूर्णी मंदिर में जल रही जोत का भी बहुत महत्व है. ये जोत 24 घंटे जलती रहती है.
मनोकामना पूरी होने पर अथवा विशेष रूप से नवरात्र के दिनों में श्रद्धालु चिंतपूर्णी मंदिर में कन्या पूजन करते हैं.
मां चिंतपूर्णी मंदिर में लोग घर की सुख शांति के लिए हवन भी करवाते है.
मां चिंतपूर्णी मंदिर की एक मान्यता ये भी है कि मां चिंतपूर्णी ज्वाला देवी का प्रसाद स्वीकार नहीं करती है.
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