क्यों रखा जाता है वट सावित्री व्रत? जानिए पूजा विधि और व्रत का महत्व

वट सावित्री हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्यौहारों में से एक है जिसे हिंदू विवाहित महिलाएं मनाती हैं.

शास्त्रों के अनुसार वट सावित्री हर वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस साल ये आज यानी 6 जून को मनाया जा रहा है.

वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त 6 जून को प्रात: 6.57 बजे से लेकर शाम 5.38 बजे तक है.

वट सावित्री व्रत दो प्रकार के होते हैं. उत्तर भारत में हिंदू महिलाएं अमावस्या तिथि को व्रत रखती हैं और महाराष्ट्र में पूर्णिमा तिथि को.

महिलाएं वट सावित्री पूजा अपने पतियों की भलाई और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करती हैं.

इस शुभ दिन पर विवाहित महिलाएं सुबह स्नान करके सोलह श्रृंगार करती है और कठोर व्रत रखती हैं.

वट सावित्री वाले दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि बरगद के पेड़ में भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी का निवास होता है.

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार सावित्री नाम की एक युवती यमराज से अपने पति के प्राण वापस लेकर आई थी. तब से ही वट सावित्री की पूजा की जाती है.

पूजा विधि की बात करें तो इस दिन विवाहित महिलाएं लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण कर बरगद के वृक्ष पर जल अर्पित करती हैं. उसके बाद पुष्प और मिठाई चढ़ा कर सात बार परिक्रमा करने के बाद वट सावित्री की कथा पढ़ती हैं.

Disclaimer

इस लेख में दी जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. Zee PHH इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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