Urdu Poetry in Hindi: "उस ने मंज़िल पे ला के छोड़ दिया, उम्र भर जिस का..."

Siraj Mahi
Nov 23, 2024

ओ मेरे मसरूफ़ ख़ुदा, अपनी दुनिया देख ज़रा

सूरज सर पे आ पहुँचा, गर्मी है या रोज़-ए-जज़ा

तुझ बिन सारी उम्र गुज़ारी, लोग कहेंगे तू मेरा था

न मिला कर उदास लोगों से, हुस्न तेरा बिखर न जाए कहीं

तेरी मजबूरियाँ दुरुस्त मगर, तू ने वादा किया था याद तो कर

उन्हें सदियों न भूलेगा ज़माना, यहाँ जो हादसे कल हो गए हैं

इस क़दर रोया हूँ तेरी याद में, आईने आँखों के धुँदले हो गए

उस ने मंज़िल पे ला के छोड़ दिया, उम्र भर जिस का रास्ता देखा

वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का, जो पिछली रात से याद आ रहा है

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