"थक गया मैं करते करते याद तुझ को", कतील शिफाई के शेर

Siraj Mahi
Jun 10, 2024

हालात
हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूं... शीशे के महल बना रहा हूं

ठुकराएगा
हम उसे याद बहुत आएंगे... जब उसे भी कोई ठुकराएगा

याद
थक गया मैं करते करते याद तुझ को... अब तुझे मैं याद आना चाहता हूं

कश्ती
अच्छा यक़ीं नहीं है तो कश्ती डुबा के देख... इक तू ही नाख़ुदा नहीं ज़ालिम ख़ुदा भी है

ख़फ़ा
यूं लगे दोस्त तिरा मुझ से ख़फ़ा हो जाना... जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना

इल्ज़ाम
दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं... लोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं

जुदाई
ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में... ख़ुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे

दरिया
गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया... लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता

दोस्त
वो मेरा दोस्त है सारे जहां को है मालूम... दग़ा करे वो किसी से तो शर्म आए मुझे

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