रोजे के अलावा रमजान में ये अमल भी हैं बेहद जरूरी, पढ़ें
Siraj Mahi
Mar 21, 2024
रोजे का मकसद सुबह से शाम तक भूखे रहने से रोजे के अरकान अदा नहीं होते हैं. इसके लिए आपको इसके सारे अरकान अदा करने होते हैं. रोजे का मकसद इंसानों में तकवा पैदा करना है.
नमाज जरूरी रोजे के दौरान नमाज पढ़ना जरूरी है. अल्लाह फरमाता है कि जिसने नमाज को तर्क किया गोया के उसने कुफ्र को इख्तियार किया. नमाज के बिना कोई भी अमल मंजूर नहीं होता है.
कुरान की तिलावत रमजान के दिनों में ज्यादा से ज्यादा कुरान की तिलावत और अल्लाह का जिक्र करना चाहिए. कुरान को समझकर पढ़ना चाहिए ताकि इसके पैगाम को समझा जा सके.
जकात अगर कोई शख्स या रोजेदार इतना अमीर है कि उसके घर में 7.5 तोला सोना और 52.5 तोला चांदी है. या खा-पीकर अपनी जरूरतें पूरी करने के बाद भी पैसे बचे हों तो उसका 2.5 प्रतिशत हिस्सा वह गरीबों में जकात अदा करें.
फितरा रमजान में हर मुसलमान पर फितरा की रकम अदा करना जरूरी होता है. ईद की नमाज के पहले इस रकम को गरीबों के बीच दान कर देना चाहिए.
रोजा इफ्तार रमजान में अपने से गरीब रोजेदारों, फकीरों, मिस्कीनों अभावग्रस्त लोगों को रोजे खुलवाने की भी बड़ी फजीलत बताई गई है. ऐसा करने से बेहिसाब सवाब हासिल होता है.
तहज्जुद की नमाज रमजान की रातों में तहज्जुद की नमाजों का भी एहतेमाम करना चाहिए. एक हदीस है कि जिसने रमजान की रातों में सवाब की नियत से तहज्जुद की नमाज अदा की, अल्लाह उसके सारे गुनाह माफ कर देता है.
शबे कदर रमजान की ताक पांच रातों में शबे कदर की रात की तलाश करने और उसमें इबादत करने का भी बड़ा सवाब बताया गया है. इस एक रात की इबादत को हजार रातों की इबादत से बेहतर बताया गया है.
ऐतिकाफ ऐतिकाफ रमजान की एक खास इबादत है, जिसमें दस दिनों तक दुनिया के मामूलात को छोड़कर अकेले में इबादत की जाती है. अगर किसी शख्स के लिए ये मुमकिन हो तो इसे जरूर करनी चाहिए.
उमरा रमजान के महीने में उमरा करने का भी बड़ा सवाब बताया गया है. एक हदीस में है कि रमजान के माह में उमरा करना हज करने के बराबर माना जाता है.
सदका खैरात रमजान के दिनों में ज्यादा से ज्यादा सदका और खैरात करना चाहिए. अल्लाह तआला को रमजान में रोजे के दौरान अपने बंदे की सखावत यानी दानशीलता बेहद पसंद है.