इस्लाम में नहाने के हैं 10 नियम; जान लें, वर्ना नहीं होंगे पाक

Siraj Mahi
Mar 21, 2024

पाकी सफाई
इस्लाम में पाकी और सफाई को आधा ईमान कहा गया है. इसका मतलब यह है कि इंसान को हर वक्त पाक-साफ रहना चाहिए. ये इसलिए भी जरूरी है कि क्योंकि मुसलमान को हर दिन पांच वक्त की नमाज अदा करनी होती है.

गुस्ल
नमाज पढ़ने के लिए पाक होना जरूरी है. पाक-साफ होने के लिए नहाना, गुस्ल करना जरूरी होता है. अगर कोई शख्स नापाक हो गया हो तो उसे दोबारा पाक होने के लिए नहाना पड़ता है.

फर्ज
इस्लाम में नहाने का भी तौर-तरीका बताया गया है. नहाने के वक्त इसमें बताए हुए फर्ज को अदा करना होता है. अगर ऐसा ना किया तो पूरी जिंदगी समुंद्र में नहाने वाला शख्स पाक नहीं होगा.

कुल्ली करना
मुंह में पानी भरकर कुल्ली करनाः नहाने और पाकी हासिल के लिए जरूरी है कि नहाने वाला शख्स अपने मुंह में पानी भरकर कुल्ली करे. गार्गिल करने की तरह कंठ तक पानी पहुंचाए. हालांकि रमजान के दिनों में सिर्फ कुल्ली करे. गलाला करना जरूरी नहीं.

नाक में पानी
नाक में पानी डालनाः नहाते वक्त नाक में पानी डालकर इसे साफ करना चाहिए. पानी नाक के पीछे के नर्म हड्डी तक पहुंचाया जाना चाहिए.

नहाना
नहाने का तीसरा फर्ज है, पूरे शरीर को पानी से इस तरह भिगाना और नहाना कि कोई हिस्सा सूखा न रह जाए.

सुन्नतें
नहाने वक्त कुछ सुन्नतें जिन्हें अदा करना चाहए. नहाने से पहले मन में यह नियत करना की पाक होने के लिए नहाने जा रहे हैं. दोनों हाथों को गट्टों तक धोना.

गंदगी साफ करना
जिस्म पर कोई गंदगी लगी है तो पहले उसे धोना/गुप्तांगों को धोना. शरीर पर तीन बार पानी डालना. वजू करना.

पानी न बहाएं
नहाते वक्त इन बातों का ख्याल रखें. खुली जगह पर न नहाएं खासकर औरतें. नहाते वक्त खामोश रहें. नहाने के बाद बदन का पानी पोठें. नहाते वक्त जरूरत से ज्यादा पानी न बर्बाद करें.

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