आज World Toilet Day है. 2013 से, संयुक्त राष्ट्र ने हर साल 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस मानाने का ऐलान किया था.

user Taushif Alam
user Nov 19, 2024


World Toilet Day इसलिए मनाया जाता है कि शौचालय और साफ़- सफाई की अहमियत की तरफ दुनिया भर के लोगों और सरकारों का ध्यान खींचा जाए.


दुनिया की कुल 8 बिलियन आबादी में आज भी 3.5 बिलियन लोगों के पास साफ़ शौचालय, मूत्रालय और स्नानगार नहीं है.. वहीँ, दुनिया की कुल आबादी का 419 मिलियन आबादी आज भी खुले में शौच, पेशाब और नहाने को मजबूर है.


2013 तक भारत की कुल आबादी का 40 फीसदी हिस्से को साफ़-सफाई के साथ शौचालय, मूत्रालय और स्नानगार की सुविधा नहीं थी. 41 फीसदी ग्रामीण आबादी खुले में शौच करने को विवश थी.


स्वच्छ भारत मिशन के बाद अब भारत में ११ फीसदी आबादी खुले में शौच करती है, यानी पिछले १० सालों में भारत ने इस दिशा में बेहतर काम किया है.


खुले में शौच करना महिला असुरक्षा से जुड़ा एक बड़ा मसला है. भारत में खुले में शौच जाने से महिलाओं से बलात्कार, छेड़खानी और सर्पदंश की समस्या आम है.


खुले में शौच या शौचालय गंदा रहने से डायरिया, दस्त, हैजा, कृमि रोग, फाइलेरिया, हेपेटाईटिस, पोलियो, टाइफाइड और UTI इन्फेक्शन जैसी बीमारियों का खतरा पैदा करता है.


खुले में शौच या पेशाब करने वाले या पर्याप्त शौचालय की सुविधा न होने मल- मूत्र के वेग को देर तक रोके रहने से लोगों में कब्जियत, गैस, पेट के अन्य रोग होने के साथ ही स्टोन की समस्या हो सकती है.

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