कौन हैं जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा? जिन्होंने CM केजरीवाल की गिरफ्तारी को ठहराया वैध

Justice Swarnakanta Sharma Biography: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाला से जुड़े मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे खारिज कर दिया है और गिरफ्तारी को वैध ठहराया है. केजरीवाल से जुड़े मामले पर फैसला जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की एकल पीठ की ओर से सुनाया गया है. आइए जानते हैं जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा के बारे में. 

Written by - Pramit Singh | Last Updated : Apr 9, 2024, 05:11 PM IST
  • DU से हासिल की हैं बीए ऑनर्स की डिग्री
  • 24 साल की उम्र में बनी थीं मजिस्ट्रेट
कौन हैं जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा? जिन्होंने CM केजरीवाल की गिरफ्तारी को ठहराया वैध

नई दिल्लीः Justice Swarnakanta Sharma Biography: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाला से जुड़े मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे खारिज कर दिया है और गिरफ्तारी को वैध ठहराया है. केजरीवाल से जुड़े मामले पर फैसला जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की एकल पीठ की ओर से सुनाया गया है. आइए जानते हैं जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा के बारे में. 

DU से हासिल की हैं बीए ऑनर्स की डिग्री
अरविंद केजरीवाल के मामले पर सुनवाई करने वाली जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में बीए ऑनर्स की डिग्री हासिल की है. इस दौरान उन्हें दौलत राम कॉलेज की ओर से साल का ऑलराउंडर विद्यार्थी के खिताब से नवाजा गया था. साल 1991 में जस्टिस स्वर्णकांता ने एलएलबी की उपाधि हासिल की, तो साल 2004 में एलएलएम की डिग्री. इसके अलावा जस्टिस स्वर्णकांता ने मार्केटिंग मैनेजमेंट, विज्ञापन और जनसंपर्क में डिप्लोमा भी किया है. 

24 साल की उम्र में बनी थीं मजिस्ट्रेट
अपने कॉलेज के दौरान स्वर्णकांता ने वाद-विवाद समेत अन्य कई तरह की प्रतियोगिताओं में खुलकर भाग लिया है और कई सारे प्रमाणपत्र भी प्राप्त किए हैं. 24 साल की उम्र में स्वर्णकांता मजिस्ट्रेट बन गई थीं. इस दौरान उन्होंने कई पेचीदे मामलों का सफलतापूर्वक निपटारा किया. जस्टिस स्वर्णकांता तीस हजारी कोर्ट, पटियाला हाउस कोर्ट और रोहिणी कोर्ट की महिला कर्मचारियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच करने वाली समिति की अध्यक्ष भी थीं. 

नवंबर 2019 में बनीं प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश
नवंबर 2019 में जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा को दिल्ली के उत्तरी जिला न्यायालय में प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. इसके बाद मार्च 2022 में उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट में प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश-सह-विशेष न्यायाधीश (सीबीआई) के रूप में नियुक्त किया गया. फिर 28 मार्च 2022 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट में स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था. 

जस्टिस स्वर्णकांता ने जनता की हितों को ध्यान में रखते हुए कई किताबें भी लिखी हैं. उनकी पहली किताब 'डोंट ब्रेक आफ्टर ब्रेक-अप' है. इस पुस्तक का उद्देश्य उन महिलाओं की मदद करना है, जिन्होंने अपना जीवन अकेले रहने को चुना है या जिनकी शादी या रिश्ता एकाएक टूट गया है. 

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