बिहार विधानसभा में मद्य निषेध, उत्पाद विधेयक 2016 पारित
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बिहार विधानसभा में मद्य निषेध, उत्पाद विधेयक 2016 पारित

बिहार विधानसभा ने तीन घंटे लंबी चर्चा पर सरकार के जवाब से नाखुश विपक्ष के बहिर्गमन के बीच पूर्णशराबबंदी को लेकर पेश ‘बिहार मद्य निषेध और उत्पाद विधेयक 2016’ को सोमवार को ध्वनि मत से पारित कर दिया।

बिहार विधानसभा में मद्य निषेध, उत्पाद विधेयक 2016 पारित

पटना : बिहार विधानसभा ने तीन घंटे लंबी चर्चा पर सरकार के जवाब से नाखुश विपक्ष के बहिर्गमन के बीच पूर्णशराबबंदी को लेकर पेश ‘बिहार मद्य निषेध और उत्पाद विधेयक 2016’ को सोमवार को ध्वनि मत से पारित कर दिया।

हालांकि पूर्णशराबबंदी को लेकर बनाए गये इस नये कानून में ‘नीरा’ (अकिण्वित होने के पूर्व ताड के पेड से उतारा गया पेय पदार्थ) के उत्पादन की व्यवस्था होने तक दलित समाज के पासी समुदाय की आजीविका के परंपरागत कारोबार में छूट दी गयी है।

राजग सदस्यों ने इस विधेयक पर गरमा-गरम चर्चा के दौरान इसका जोरदार ढंग से विरोध करने के साथ मुख्यमंत्री के जवाब से नाखुश होकर सदन से बहिर्गमन करने के पूर्व इसमें संशोधन के लिए कुल 17 प्रस्ताव लाए, जिनमें से दो पर उनके वोटिंग के लिए अड़ने पर उसमें भी हार के साथ सदन ने इन संशोधनों को ध्वनिमत से अस्वीकृत कर दिया।

भाजपा सदस्यों द्वारा इस विधेयक में संशोधन के लिए लाए गए कुल 17 प्रस्तावों में से विधेयक के खंड 17 और 32 में संशोधन को लेकर वोटिंग कराए जाने के लिए अड़ने पर खंड 17 में संशोधन के लिए लाए गए प्रस्ताव लेकर करायी वोटिंग गयी। इसमें उसके पक्ष कुल 46 और विरोध में 150 मत पड़े जबकि खंड 32 में संशोधन को लेकर लाए गए प्रस्ताव को लेकर करायी गयी वोटिंग में उसके पक्ष में 45 और विरोध में 153 मत पड़े।

इससे पूर्व बिहार विधानसभा में भोजनावकाश के बाद उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री अब्दुल जलील मस्तान ने बिहार मद्य निषेध और उत्पाद विधेयक 2016 को सदन में पेश किया था।

बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद विधेयक 2016 पर चली लंबी बहस में भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) सेक्युलर के अध्यक्ष जीतन राम मांझी और रालोसपा विधायक ललन प्रसाद और भाकपा माले विधायक महबूब आलम ने भाग लिया। उन्होंने राज्य सरकार से इस कडे कानून को ‘तालीबानी’ बताते हुए इसे उसके वर्तमान स्वरूप में नहीं पेश किए जाने का आग्रह किया, जिसमें किसी घर से शराब की बोतल बरामद होने पर उस परिवार के सभी व्यस्क सदस्यों की गिरफ्तारी का प्रावधान है। इस विधेयक पर सरकार की ओर से जवाब देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि यह पूर्णशराबबंदी की दिशा में दूरगामी साबित होगा।

नीतीश ने विपक्ष के उस आरोप कि नया कानून उत्पाद विभाग, पुलिस और अन्य सरकारी मशीनरी को आज जनता खास तौर पर गरीब लोगों को परेशान करने के लिए हथियार सौंपेने पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि ऐसा करने वालों के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं। इससे पूर्व बजट सत्र के दौरान सदन द्वारा पारित बिहार उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2015 शराब पीने और रखने के झूठे आरोप में किसी को पकड़ने पर तीन महीने की सजा तथा दस हजार रुपये के जुर्माना का प्रावधान था, पर नये कानून में तीन साल की सजा और एक लाख रुपये के जुर्माना का प्रावधान किया गया है।

नये कानून को गरीब विरोधी और बिहार में ‘पुलिसिया राज’ कायम करने वाला कानून बताते हुए राज्य सरकार के विरूद्ध झूठा प्रचार करने का आरोप लगाते हुए नीतीश ने कहा कि हाल में कैमूर जिले में कोलकाता जा रहे एक वाहन सवार को झूठे मुकदमें में फंसाने पर उत्पाद विभाग के सात कर्मियों को बर्ख्रास्त किया गया।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकारी कर्मियों के विरूद्ध भादंवि और भ्रष्टाचार निरोध अधिनियम के तहत कार्रवाई का भी प्रावधान किया गया है।