बिहार उपचुनाव : भभुआ विधानसभा सीट पर चुनाव को लेकर कांग्रेस-राजद में खटपट!
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बिहार उपचुनाव : भभुआ विधानसभा सीट पर चुनाव को लेकर कांग्रेस-राजद में खटपट!

बता दें कि जदयू ने बिहार की तीनों सीटों पर होने वाले उपचुनावों से खुद को पीछे धकेल लिया है. भाजपा भी इन चुनावों में अपना उम्मीदवार उतारने का फैसला ले चुकी है. 

बिहार में उप चुनाव को लेकर कांग्रेस-राजद आमने-सामने... (फाइल फोटो)

पटना : बिहार में उपचुनावों की घोषणा के बाद से राजनीति में उथल-पुथल मच गई है. राजनीतिक पार्टियां सीटों पर अपनी दावेदारी ठोक रही हैं. स्थिति ये है कि उपचुनावों को लेकर गठबंधन में तकरार पैदा होने लगी है. जानकारी के मुताबिक, भभुआ की सीट को लेकर कांग्रेस और राजद आमने-सामने आ गई है. राजद ने तीनों सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह ने कहा कि 'मैं पार्टी आलाकमान से आग्रह करना चाहूंगा कि भभुआ से अपना उम्मीदवार उतारने के बारे में फैसला करें.'

  1. कांग्रेस ने भभुआ विधानसभा सीट पर ठोका दावा
  2. जदयू बिहार की इन तीनों सीटों पर नहीं लड़ेगी चुनाव!
  3. अररिया लोकसभा और दो विस सीटों पर 11 मार्च को होगा उपचुनाव

जदयू बिहार की तीनों सीटों पर नहीं लड़ेगी!
बता दें कि जदयू ने बिहार की तीनों सीटों पर होने वाले उपचुनावों से खुद को पीछे धकेल लिया है. भाजपा भी इन चुनावों में अपना उम्मीदवार उतारने का फैसला ले चुकी है. राज्य में अररिया लोकसभा सीट और जहानाबाद और भभुआ विधानसभा सीटों पर 11 मार्च को उपचुनाव हो रहा है.

चुनाव से पहले राबड़ी ने की बैठक
उप चुनावों को लेकर मंगलवार को राष्ट्रीय जनता दल की कोर कमेटी की बैठक हुई, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में उपचुनावों को लेकर चर्चा की गई. उपचुनावों को लेकर गठबंधन में खटपट होती हुई दिखाई दे रही है.

उप चुनाव को लेकर गर्माई सियासत
दरअसल, चुनाव आयोग द्वारा अररिया लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराए जाने की घोषणा के साथ ही सियासत गर्मा गई है. अररिया सीट राजद सांसद मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद खाली हुई थी. इस सीट पर 11 मार्च को उपचुनाव होगा. इसी दिन उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव कराए जाएंगे. उधर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाजपा के साथ हाथ मिलाने के बाद राज्य में यह पहला उपचुनाव होगा जिससे सभी की नजरें इस चुनाव पर लगी हैं.

लालू के लिए यह उप चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न
इस उपचुनाव को राजद प्रमुख लालू प्रसाद के लिए प्रतिष्ठा के प्रश्न के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि चारा घोटाला मामलों में सजा सुनाए जाने के बाद उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं. राजद ने ‘मोदी लहर’ के बावजूद 2014 लोकसभा चुनावों में यह सीट जीती थी. तसलीमुद्दीन ने 2014 के लोकसभा चुनाव में दो लाख से अधिक वोट से सीट पर जीत दर्ज की थी. वहीं अलग अलग चुनाव लड़ने वाली भाजपा और जदयू के उम्मीदवार क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे थे.

(इनपुट भाषा से भी)