बिहारः इस गांव में होता है अनोखा मूर्ति विसर्जन, महिलाएं 34 घंटे करती है झझिया
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बिहारः इस गांव में होता है अनोखा मूर्ति विसर्जन, महिलाएं 34 घंटे करती है झझिया

बिहार के दरभंगा ज़िले अंतर्गत जाले गाव में जलेश्वरी मंदिर में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन में 34 घंटे लग जाते है.

दरभंगा में अनोखे तरीके मूर्ती विसर्जन किया जाता है.

दरभंगाः आम तौर पर मूर्ति विसर्जन दो से चार घंटे में संपन्न हो जाता है, लेकिन बिहार के दरभंगा ज़िले अंतर्गत जाले गाव में जलेश्वरी मंदिर में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन में 34 घंटे लग जाते है. हालांकि मूर्ति विसर्जन के लिए महज एक किलोमीटर की दूरी तय की जाती है.

दरअसल जलेश्वरी मंदिर में 1960 से होने वाली दुर्गा पूजा में लोगों की असीम श्रद्धा है. लोगों की माने तो यहां हर मनोकामना पूरी होती है. यही वजह है की यहां के लोग न सिर्फ पूजा धूम-धाम से करते है, बल्कि मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन भी पूरी उत्साह के साथ करते है. मंदिर से एक किलोमीटर की दूरी पर सुखाई सरोवर (तालाब) में प्रतिमा विसर्जन किया जाता है. 

हज़ारो की संख्या में स्थनीय लोग मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन में भाग लेते है. इसमें महिलाएं भी खूब बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती है. साथ ही पूरे रास्ते कुछ महिलाएं माथे पर घरा रख पारंपरिक झिझिया खेलते जाती है. भीड़ ऐसी मानो पांव रखने की जगह नहीं होती. 

मां की भक्ति में सभी ऐसे लीन रहते है कि कब इतना वक्त निकल जाता किसी पता ही नहीं चलता. देखते ही देखते दिन में निकली विसर्जन लगातार चलने के बाद भी एक रात और पूरा दिन लग जाने के बाद ही विसर्जन हो पाता है.

पिछले वर्ष भी यहां की प्रतिमा विसर्जन में 34 घंटे लगे थे इस बार भी 34 से 36 घंटे के लगभग में मूर्ति विसर्जन होने की उम्मीद है. लंम्बे समय बिताने के बाद भी भक्तों के उत्साह में कोई कमी नहीं होती है. हालांकि प्रसाशन के लिए भी यह कड़ी चुनौती का विषय रहता है.

वहीं स्थानीय अरुण पाठक ने बताया की ये अद्भुत परंपरा के तहत मां की विदाई सिर्फ जाले मे ही होता है. इसकी शुरुआत 1960 से हुई थी, जो आज भी हर वर्ष धूम-धाम से होती है. आधे रास्ते तय करने के बाद इस जुलूस का जिम्मा महिलाएं अपने ऊपर ले लेती है, जो झिझिया खेलते हुए पूरा करती है.