शिक्षक नियुक्ति पर प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार को घेरा, कहा-बताएं कितने नए लोगों को मिली है नौकरी
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शिक्षक नियुक्ति पर प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार को घेरा, कहा-बताएं कितने नए लोगों को मिली है नौकरी

बेगूसराय में जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने पटना के गांधी मैदान में शनिवार को शिक्षक नियुक्ति पत्र वितरण पर बिहार सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि दोनों लोगों को ये बताना चाहिए कि कितने नए लोगों को नौकरी दी गई. दोनों चाचा-भजीता पूरे बिहार को फर्जी डाटा बांट रहे हैं.

(फाइल फोटो)

बेगूसराय: बेगूसराय में जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने पटना के गांधी मैदान में शनिवार को शिक्षक नियुक्ति पत्र वितरण पर बिहार सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि दोनों लोगों को ये बताना चाहिए कि कितने नए लोगों को नौकरी दी गई. दोनों चाचा-भजीता पूरे बिहार को फर्जी डाटा बांट रहे हैं. ये नई नौकरी नहीं दी गई है, पहले दौर में 1 लाख 25 हजार लोगों को नियुक्ति पत्र दिया गया. उसमें आधे से ज्यादा लोग पहले से नियोजित शिक्षक थे, उन्हें राज्यकर्मी बनाया गया. दूसरा, जो आधे बच गए जिन्हें नई नौकरी मिली उनमें करीब-करीब 60 फीसदी लोग, जिसे मुख्यमंत्री भी गिनवा रहे थे कि 11 से ज्यादा अलग-अलग राज्यों के लोग यहां आकर शिक्षक बने हैं, वो थे. 

उन्होंने आगे कहा कि ये चाचा-भतीजा की सरकार की नीतियों का ही परिणाम है कि बिहार के बच्चे दूसरे राज्यों में जाकर ठेला लगाएंगे, मजदूरी करेंगे, नाली साफ करेंगे और दूसरे राज्यों के लोग यहां आकर शिक्षक बनेंगे. इस गलत आंकड़े पर दोनों दावा कर रहे हैं कि हमारा है, हमारा है. बिहार के बच्चों का इससे कोई फायदा नहीं है. 

प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में करीब-करीब 10 लाख शिक्षकों की जरूरत है. बिहार में नियोजित, नए शिक्षक, अतिथि शिक्षक सहित सभी को मिलाकर 3 लाख 95 हजार शिक्षक हैं. यहां आधे से ज्यादा पद अभी भी खाली हैं. कोई भी स्कूल में स्थिति बदली नहीं है. नियुक्ति पत्र बांटने के कार्यक्रम में पत्रकारों ने जब कुछ शिक्षकों से सवाल पूछा कि उप राष्ट्रपति कौन हैं, बीपीएससी का फुल फॉर्म क्या है तो 10 में से 9 शिक्षक उसका सही जवाब नहीं दे पाए. क्या इन्हीं के भरोसे बिहार की शिक्षा व्यवस्था को सुधारा जाएगा. अंधे में काना राजा वाली बात है. 

सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि अभी तक सरकार ने नहीं बताया है कि 2 लाख 25 हजार लोगों को नियुक्ति पत्र दिया गया उनमें कितने पहले से नौकरी कर रहे थे, कितने बिहार के लोगों को नौकरी मिली, कितने दूसरे राज्यों के लोगों को नौकरी दी. ये तीन आंकड़े कोई नहीं बता रहा है. 

प्रशांत किशोर ने कहा कि तेजस्वी यादव वही आदमी हैं जो कह रहे थे एक कैबिनेट में बैठेंगे तो 10 लाख लोगों को नौकरी दे देंगे. कोई उनसे पूछने वाला नहीं है आपके मां-बाबू जी 15 वर्षों तक सत्ता थे तो एक भी आदमी को नौकरी नहीं दी. नीतीश कुमार 18 वर्षों से मुख्यमंत्री हैं और एक भी आदमी को नौकरी नहीं दी. अब अचानक से उनको ज्ञान हो गया है कि 2 लाख 25 हजार को नौकरी दे रहे हैं. ये 2 लाख 25 हजार का आंकड़ा गलत है. इसमें बड़ी संख्या उन शिक्षकों की है जो पहले से नौकरी कर रहे थे, उनका सर्विस कंडीशन बदला है. पहले नियोजित शिक्षक थे, अब उन्हें राज्यकर्मी बताया जा रहा है. अभी भी उन शिक्षकों को कोई फायदा नहीं है. दूसरा बाहर के राज्यों के लोगों को नौकरी दी है, तीसरा कितने बिहार के लोगों को नौकरी दी है वो संख्या किसी को नहीं मालूम है, लेकिन जो भी है वो संख्या पर्याप्त नहीं है, उससे बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.

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