बिहार : JDU नेता की हत्या के 5 दिन बाद भी नहीं हो सकी कोई गिरफ्तारी
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बिहार : JDU नेता की हत्या के 5 दिन बाद भी नहीं हो सकी कोई गिरफ्तारी

परिवहन मंत्री ने मुखिया नीलम देवी से मुलाकात की और उन्हें हर संभव सहायता उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया. 

जेडीयू नेता के परिजनों से मिलते परिवान मंत्री संतोष कुमार निराला.

गोपालगंज : इन दिनों बिहार अपराध के बढ़ते ग्राफ को लेकर चर्चा में है. जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) नेता और मुखिया पति उपेन्द्र सिंह कुशवाहा की हत्या के पांच दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक अपराधियों गिरफ्तारी नहीं हो सकी है. पीड़ित परिवार को सांत्वना देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रतिनिधि के तौर पर बिहार सरकार में परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला मंगलवार को गोपालगंज पहुंचे. 

परिवहन मंत्री ने मुखिया नीलम देवी से मुलाकात की और उन्हें हर संभव सहायता उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया. साथी ही अपराधियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी करने का आश्वासन भी दिया. मंत्री के साथ स्थानीय विधायक और मुख्य सचेतक रामसेवक सिंह, जोडीयू के जिलाध्यक्ष प्रमोद कुमार पटेल सहित सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे.

ज्ञात हो कि उपेन्द्र सिंह कुशवाहा की बीते 14 सितम्बर को दिनदहाड़े अपराधियो ने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद भी नामजद अपराधी फरार हैं. सांत्वना देने के लिए पहुंचे परिवहन मंत्री ने कहा कि सीएम नीतीश को इस घटना का काफी दुःख है. वे अस्वस्थ होने के कारण यहां नहीं आ सके, लेकिन उन्होंने हमें प्रतिनिधि के तौर पर भेजा है. साथ ही उन्होंने कहा कि वे डीएम और एसपी से इस मामले पर रिपोर्ट लेंगे. साथ ही पीड़ित परिजनों की सरकार से जो अपेक्षा है, वह भी सीएम के सामने रखेंगे.

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मौके पर मौजूद स्थानीय विधायक और मुख्य सचेतक रामसेवक सिंह ने कहा कि उपेन्द्र कुशवाहा की पत्नी दो बार से मुखिया हैं. वे खुद पार्टी के सच्चे सिपाही थे. पार्टी को उनकी कमी खलेगी. उन्होंने आश्वासन दिया कि अपराधी को जो भी सजा का प्रावधान है, उससे अधिक सजा मिलेगी. विधायक ने बताया कि अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने वारंट जारी करने के साथ ही कुर्की-जब्ती की भी प्रक्रिया शुरू कर दी है.

बता दें कि हथुआ के बरवाकपरपुरा गांव के समीप दिनदहाड़े बाइक सवार अपराधियों ने जेडीयू नेता की गोलियों से भुनकर हत्या कर दी थी. इसके पूर्व भी उपेन्द्र कुशवाहा पर दो साल पहले जानलेवा हमला हुआ था, जिसमें वह बाल-बाल बचे थे.