वैशाली में केला के थंब में बांधकर शव को गंगा में बहाया, सांप के काटने से हुई थी बच्चे की मौत
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वैशाली में केला के थंब में बांधकर शव को गंगा में बहाया, सांप के काटने से हुई थी बच्चे की मौत

बिददुपुर थाना क्षेत्र के काइली चौक खरिका निवासी राजू पासवान के 9 वर्षीय पुत्र अभिषेख कुमार की मौत सांप के काटने से हो गई. वह तीसरी क्लास में पढ़ाई करता था. स्कूल से घर आने के बाद अभिषेक ने स्कूल बैग जैसे ही घर के अंदर रक्खी चौकी पर रखा तो उसे एक सांप ने डस लिया.

वैशाली में केला के थंब में बांधकर शव को गंगा में बहाया, सांप के काटने से हुई थी बच्चे की मौत

वैशालीः भले ही हम वैज्ञानिक युग में जी रहे हो, लेकिन देश के कई जगह पर अंधविश्वास आज भी जिंदा है. एक ऐसे ही अंधविश्वास का वाक्य सामने आया है जिसमे मृत बच्चे को तांत्रिक विधि से जीवित करने की प्रक्रिया की गई है. बता दें कि वैशाली में केला के थंब में बांधकर किशोर के शव का गंगा के बहाया गया. परिजनों के घर वालों को उम्मीद है कि वह जिंदा हो जाएगा. इसलिए बाजबता मृतक का नाम, पिता व दादा का नम पता के साथ लिखा एक तख्ती भी लगाया गया है.

क्या है पूरा मामला
बता दें कि बिददुपुर थाना क्षेत्र के काइली चौक खरिका निवासी राजू पासवान के 9 वर्षीय पुत्र अभिषेख कुमार की मौत सांप के काटने से हो गई. वह तीसरी क्लास में पढ़ाई करता था. स्कूल से घर आने के बाद अभिषेक ने स्कूल बैग जैसे ही घर के अंदर रक्खी चौकी पर रखा तो उसे एक सांप ने डस लिया. घर वालों ने एक स्थानीय तांत्रिक से तंत्र क्रिया के जरिए बच्चे को ठीक करवाना चाहा, लेकिन बच्चा ठीक नहीं हुआ. जिसके बाद उसे निजी बहन से मुजफरपुर के एक अस्पताल में लाया गया जहां डॉक्टरों जांच के उपरांत उसे मृत घोषित कर दिया, लेकिन मृत किशोर के घरवालों को तांत्रिक पर पूरा भरोषा था और तांत्रिक के कहे अनुसार सी केले के थंब का बेड़ा बना कर बच्चे के शव को गंगा नदी में छोड़ दिया गया. इस उम्मीद के साथ कि वह जिंदा होकर वापस आएगा. बेड़ा में तख्ती भी लगाई गई जिसपर बच्चे का नाम, पिता का नाम, दादा का नाम, पूरा पता के साथ-साथ मोबाइल नंबर भी डाला गया.

कई तथ्यों को छुपाने का किया गया प्रयास
ग्रामीणों के द्वारा कई तथ्यों को छुपाने का प्रयास किया. बावजूद इस विषय में स्थानीय सरवन पंडित का कहना है कि इस प्रक्रिया से उम्मीद किया जा सकता है कि वह जीवित होकर लौटेगा. यह उम्मीद की जा सकती है दावे के साथ नही कहां जा सकता है. मौत के बाद जो पुरानी प्रक्रिया है उसकी के तहत केले के पेड़ का बेड़ा बना कर शव को प्रवाह कर दिए है.

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