VIDEO: जमीन पर गड़े ये पत्थर संविधान को दे रहे चुनौती, आधार को बता रहे आदिवासी विरोधी
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VIDEO: जमीन पर गड़े ये पत्थर संविधान को दे रहे चुनौती, आधार को बता रहे आदिवासी विरोधी

पत्थरों पर यह भी लिखा है कि वोटर कार्ड और आधार कार्ड आदिवासी विरोधी दस्तावेज हैं.

आदिवासियों को 'पत्थरगड़ी' के नाम पर भारतीय संविधान के खिलाफ भड़काया जा रहा है

खूंटी (मनीष मेहता): झारखंड में इन दिनों कुछ पत्थर सुर्खियों में हैं. वे पत्थर प्रशासन के सामने सवाल खड़े कर रहे हैं. पत्थरों पर आदिवासियों का अपना संविधान होने की बात लिखी गई है. लिखा गया है कि आदिवासी भारत देश के मालिक हैं ना कि आम आदमी. यही नहीं पत्थरों पर यह भी लिखा है कि वोटर कार्ड और आधार कार्ड आदिवासी विरोधी दस्तावेज हैं. सवाल खड़ा होता है कि आखिर झारखंड के आदिवासियों को भारत के संविधान के खिलाफ कौन भड़का रहा है. कौन है जो आदिवासियों को गुलामी की जंजीरों में जकड़ना चाहता है. ऐसे ही तमाम सवालों की तलाश में जी मीडिया की टीम निकली. देखिए, हमारे संवाददाता मनीष मेहता की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट...

  1. राजधानी रांची से सटा खूंटी का इलाका इन दिनों चर्चा में है
  2. ये शिलापट स्वतंत्रता के अधिकार को भी नहीं मानते
  3. कुरंगा गांव में ही पुलिस के जवानों को बंधक बनाया गया था

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पत्थरगड़ी का खौफ चारों तरफ नजर आया
राजधानी रांची से सटा खूंटी का इलाका इन दिनों चर्चा में है. खूंटी रांची से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है. इन दिनों वहां स्थानीय प्रशासन से सवाल करते हुए कुछ पत्थर गड़े हुए हैं. जी हां, आदिवासियों को 'पत्थरगड़ी' के नाम पर भारतीय संविधान के खिलाफ भड़काया जा रहा है. इस पत्थलगड़ी का सच तलाशने निकली जी मीडिया की टीम को रास्ता ठीकठाक ही मिला लेकिन चारों तरफ हवा में डर और खौफ की दस्तक बनी हुई थी. क्योंकि, मामला पत्थलगड़ी से जुड़ा था. भारतीय संविधान के समानांतर कानून के ये पत्थर चौंकाने वाले थे. जी मीडिया को एक नहीं कई पत्थर इलाके में हाईवे के किनारे गड़े मिले.

देश के संविधान को चुनौती दे रहे हैं ये पत्थर
पत्थरगड़ी की हद तो यह है कि ये शिलापट स्वतंत्रता के अधिकार को भी नहीं मानते. स्वतंत्रता के नाम पर यहां गुलामी की इबारत लिखी है. जी मीडिया की टीम को हाईवे के किनारे लगे पत्थलगड़ी के पास ही एक साइकिल बनाने की दुकान मिली. लेकिन दुकान पर कोई नहीं था. हां, एक गंभीर संदेश जरूर था.

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ये हैं 'बॉडीगार्ड बाबा' जो करते हैं निगरानी
अड़की के रास्ते में ही जी मीडिया की टीम को एक बुजुर्ग मिले. बुजुर्ग उस वक्त अपने पारंपरिक हथियारों से लैस थे. ये बुजुर्ग बाबा कोई और नहीं थे बल्कि इनको ही निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. 'बॉडीगार्ड बाबा' ने जितने हथियार बाहर रखे थे. उतने कपड़ों के अंदर भी छिपा रखे थे. बाबा ने साफ कहा कि पत्थलगड़ी पर उकेरे कानून के खिलाफ वो आगे जाने से किसी भी बाहरी को भी रोक सकते हैं.

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कोई कुछ बताने को तैयार नहीं
जी मीडिया की टीम जब आगे बढ़ी तो कुछ जगहों पर उसे रास्ते गड़बड़ मिले. जंगल, सूनसान, बियावान क्षेत्र से होते हुए जी मीडिया की टीम अड़की ब्लॉक पहुंची. सुबह करीब 10 बजे का वक्त होने के चलते सरकारी दफ्तरों में इक्का-दुक्का कर्मचारी आते भी नजर आए. लेकिन, जी मीडिया को वहां कोई फरियादी नहीं दिखा, किसी जरूरतमंद पर नजर नहीं पड़ी. जो मिले भी वो कुछ बताने को राजी नहीं थे.

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कुरंगा गांव में फैली थी अजीब सी खामोशी
इसके बाद जी मीडिया की टीम कुरंगा के लिए आगे बढ़ गई. रास्ते में बिरबांकी नाम की जगह मिली. वहां काफी हलचल थी. दरअसल, वहां बाजार लग रहा था. तीन पड़ाव के बाद जी मीडिया की टीम अपने लक्ष्य की पर पहुंची. आपको बता दें कि कुरंगा गांव में ही पुलिस के जवानों को बंधक बनाया गया था. जिसे लेकर खूंटी पुलिस की भूमिका पर भी संदेह है. इस मुद्दे पर राजनीति भी काफी हुई. लेकिन गांव में जी मीडिया को अजीब सी खामोशी मिली. सब कुछ शांत... डरा सहमा सा... चुप सा था. दिन की रोशनी भी यहां रात के सन्नाटे जैसे सनसनाहट भरी थी.

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